Awacs India Project: भारत सरकार ने देश की एयर डिफेंस क्षमताओं को बढ़ाने के लिए Awacs India प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. 20 हजार करोड़ रुपये वाली इस परियोजना से भारत एक ऐसी हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली को विकसित करने जा रहा है. जिससे दुश्मन के लड़ाकू विमान भी फेल हो जाएंगे. यह महत्वाकांक्षी योजना भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए गेम-चेंजर मानी जा रही है. इस परियोजना के तहत 6 अत्याधुनिक हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (AWACS) को विकसित किया जाएगा. इस परियोजना के तहत विकसित होने वाली प्रणाली से भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा. जिनके पास इस जैसी स्वदेशी क्षमताएं हैं.
भारतीय वायुसेना को मिलेंगे 6 बड़े AWACS
बता दें कि 20 हजार करोड़ की इस परियोजना से भारतीय वायुसेना को 6 बड़े आकार के AWACS प्लेटफॉर्म मिलेंगे. जिससे दुश्मन के लड़ाकू विमानों के साथ-साथ ग्राउंड सेंसरों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों को काफी दूर से ट्रैक किया जा सकेगा. ये विमान आसमान में ऑपरेशन कमांड सेंटर की भूमिका भी निभाएंगे. इन विमानों का विकास डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की मदद से किया जाएगा.
जिसके लिए एयरबस के ए321 विमान का इस्तेमाल किया जाएगा. जिसके स्ट्रक्चर जटिल बदलाव और सिस्टम में इंटीग्रेशन किया जाएगा. इस प्रोजेक्स पर डीआरडीओ भारत की कई निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगा. जो स्वदेशी रक्षा तकनीक के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होगा.
एयर इंडिया के विमानों को किया जाएगा री-कनफिगर
बता दें कि भारतीय वायु सेना के पास पहले से मौजूद 6 A321 एयरक्राफ्ट को इस प्रोजेक्ट के तहत दोबारा से डिजाइन किया जाएगा. नई डिजाइन के तहत इन विमानों में ऊपर की ओर एक बड़ा डॉर्सल फिन लगाया जाएगा. जिससे 360-डिग्री रडार कवरेज को सुनिश्चित किया जा सके. जिसमें पूर्णतः स्वदेशी मिशन कंट्रोल सिस्टम और एईएसए रडारों का इस्तेमाल किया जाएगा. ये रडार सिस्टम अल्ट्रा मॉडर्न होंगे.
डीआरडीओ चला रहा नेत्र MkII प्रोग्राम
बता दें कि Awacs India को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा चलाए जा रहे नेत्र MkII प्रोग्राम के तहत डेवलप किया जा रहा है. इससे पहले सरकार ने डीआरडीओ को फिफ्थ जनरेशन एडवांस्ड मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के प्रोटोटाइप प्रोडक्शन के लिए मंजूरी दी थी. इस परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद भारत भी उन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा. जो रक्षा क्षेत्र में केवल आयात ही नहीं करते बल्कि विश्वसनीय तकनीकी से रक्षा उपकरणों का निर्माण भी करते हैं.
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