Language Row: भाषा विवाद के बीच तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने गुरुवार को एक बार फिर केंद्र की ओर से कथित तौर हिंदी थोपे जाने के खिलाफ आवाज बुलंद की. सीएम स्टालिन ने कहा कि राज्य भाषा को ‘थोपने’ की अनुमति नहीं देगा. इस दौरान उन्होंने तमिल और उसकी संस्कृति की रक्षा करने की कसम खाई. उन्होंने कहा कि वे हर तरह से तमिल संस्कृति की रक्षा करेंगे.
जरूर पढ़ें: भाषा विवाद के बीच बोले अमित शाह, ‘2026 तमिलनाडु में NDA सरकार के साथ समाप्त करेंगे’
‘हिंदी एक मास्क, संस्कृति छिपा चेहरा’
भाषा विवाद के बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं को एक पत्र लिखा है, जिसमें सीएम स्टालिन ने कार्यकर्ताओं से कहा कि हिंदी थोपे जाने का विरोध किया जाएगा. इस खत में उन्होंने हिंदी को एक मुखौटा जबकि संस्कृति को उसका छिपा हुआ चेहरा बताया. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा, ‘हिंदी थोपे जाने का विरोध किया जाएगा. हिंदी मुखौटा है, जबकि संस्कृत छिपा हुआ चेहरा है.’
जरूर पढ़ें: DRDO-Indian Navy को बड़ी सफलता, अपनी तरह की पहली इस मिसाइल का किया सफल परीक्षण, ये हैं खासियतें
जरूर पढ़ें: क्या है ‘विश्व बंधु’ का कॉन्सेप्ट? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने IIT (BHU) के स्टूडेंट्स को दिया ये जवाब
'हिंदी ने कई भाषाओं को निगल लिया'
सीएम स्टालिन यहीं नहीं रुके. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हिंदी ने कई भाषाओं को निगल लिया. सीएम स्टालिन ने एक्स पर लिखा, 'कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया है? भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खरिया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी और कई अन्य अब अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं.'
सीएम स्टालिन आगे लिखते हैं, 'एक अखंड हिंदी पहचान के लिए जोर देने से प्राचीन मातृभाषाएं खत्म हो रही हैं. यूपी और बिहार कभी भी सिर्फ 'हिंदी के गढ़' नहीं थे. उनकी असली भाषाएं अब अतीत की निशानियां बन गई हैं. तमिलनाडु इसका विरोध करता है क्योंकि हम जानते हैं कि इसका अंत कहां होगा.'
अश्विनी वैष्णव का पलटवार
सीएम स्टालिन के पोस्ट पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पलटवार किया है. उन्होंने स्टालिन के इस कदम को समाज को बांटने का खोखला प्रयास बताया.
क्या है त्रि-भाषा विवाद?
तमिलनाडु देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है, जहां नेशनल एजूकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 अभी तक लागू नहीं हुई है. NEP 2020 के तहत थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी की बात कही गई है. केंद्र अक्सर इसके तहत हिंदी के प्रोत्साहन को बढ़ावा देती है. बस यही पॉइंट बीजेपी और डीएमके के बीच टकराव का विषय बना हुआ है. सत्तारूढ़ DMK एनईपी के तहत तीन-भाषा फार्मूले के जरिए से केंद्र की ओर से हिंदी थोपे जाने का आरोप लगा रही है, हालांकि केंद्र सरकार ने इस आरोप को खारिज कर दिया है.
जरूर पढ़ें: MP News: बागेश्वर धाम कन्या विवाह महोत्सव में शामिल हुईं उर्वशी रौतेला, एक्ट्रेस ने बताया, पूरा हुआ कौन सा सपना