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गीता सामोता ने रचा इतिहास Photograph: (X@CISFHQrs)
Know who is Geeta Samota? गीता सामोता ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया. इसी के साथ उन्होंने देश के सुरक्षा बलों के इतिहास में एक नया और गौरवशाली अध्याय जोड़ दिया. दरअसल, गीता सामोता केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं जिन्होंने हाल ही में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर इतिहास रच दिया.
CISF की महिला कर्मी ने रचा इतिहास
गाती सामोता से पहले कई भारतीय ये कारनामा कर चुके हैं लेकिन CISF के 56 साल के गौरवशाली सफर में यह पहली बार है जब केंद्रीय औद्योगिर सुरक्षा बल की किसी महिला कर्मी ने दुनिया की सबसे ऊंची (8,849 मीटर) माउंट एवरेस्ट को फतह किया और वहां तिरंगा फहराया. सीआईएसएफ के प्रवक्ता ने मंगलवार को इस उपलब्धि के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि गीता ने सोमवार (19 मई) को यह दुर्गम और बेहद मुश्किल चढ़ाई को पूरा कर लिया. केंद्रीय बल के प्रवक्ता के मुताबिक, जब गीता एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी थीं, तो वह सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं थी, बल्कि यह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और पूरे भारत के अदम्य साहस, हौसले और जज्बे की भी मिसाल थी. उन्होंने कहा कि वो पल देश के लिए गर्व का पल था.
"CISF की नारी शक्ति की ऐसी मिसाल, जिसने छू लिया आसमान और बना दी नई पहचान।"
— CISF (@CISFHQrs) May 20, 2025
DG #CISF and all ranks congratulate L/SI Geeta Samota of CISF Unit, Udaipur Airport, on successfully scaling Mount Everest (8,848 m), the highest peak in the world.
She has not only brought immense pride… pic.twitter.com/tL1I32uazs
राजस्थान के सीकर की रहने वाली हैं गीता
गीता सामोता अभी 34 साल की हैं और वह राजस्थान के सीकर जिले के चाक गांव की रहने वाली हैं. गीता का शुरुआती सफर खेल जगत से शुरू हुआ. वह एक बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी रही हैं, लेकिन चोट चलने की वजह से उन्हें हॉकी से दूरी बनानी पड़ी. इसके बाद उन्होंने 2011 में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में भर्ती होकर देश सेवा का सफर चुना.
वर्तमान में गीता सामोता उदयपुर एयरपोर्ट यूनिट में तैनात हैं. उनकी रुचि पर्वतारोहण में भी रही है. जिसके चलते उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है. हालांकि इसमें सबसे खास बात यह है कि जब उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखा, तब सीआईएसएफ के पास कोई पर्वतारोहण टीम नहीं थी. बावजूद इसके उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से खुद को साबित कर दिया और इतिहास रच दिया.
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