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New Delhi: जमीयत उलेमा हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने बंग्लादेश में भीड़ द्वारा की गई हिंसा की घटना को लेकर कहा है कि बांग्लादेश में हो रही घटना ने हर संवेदनशील इंसान को दुखी किया है. यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि इंसानियत के खिलाफ की गई बेहद क्रूर हरकत है. ऐसी हिंसा की जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है.
कोई भी धर्म नहीं देता निर्दोष की हत्या की इजाजत
मौलाना अरशद मदनी का कहना बिल्कुल साफ है इस्लाम तो क्या, कोई भी धर्म निर्दोष इंसान की हत्या की इजाजत नहीं देता. जो लोग धर्म के नाम पर हिंसा करते हैं, वे न सिर्फ कानून तोड़ते हैं बल्कि अपने ही धर्म को बदनाम करते हैं. ऐसे लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए.
क्या खून का रंग अलग होता है
मौलाना का बयान दर्शाता है कि अगर हम खुद को सभ्य और इंसाफ पसंद समाज कहते हैं, तो फिर हमें हर जगह, हर हाल में हिंसा के खिलाफ खड़ा होना होगा. अब जिम्मेदारी समझने का वक्त मौलाना अरशद मदनी ने साफ कहा कि धार्मिक होना गलत नहीं है, लेकिन जब धर्म कट्टरता में बदल जाता है, तो इंसान इंसान को दुश्मन समझने लगता है. यहीं से टकराव और हिंसा शुरू होती है.
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एक देश के रूप में जिम्मेदारी समझें- मौलाना अरशद
आज जरूरत है कि हम एक देश के रूप में अपनी जिम्मेदारी समझें. नफरत और कट्टरता न सिर्फ हमारी आपसी एकता और भाईचारे को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि पूरी दुनिया में देश की छवि भी खराब कर रही है. यह देश हमें बहुत प्यारा है. इसकी आजादी में हमारे बुजुर्गों का खून और कुर्बानी शामिल है. अगर अब भी हम नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी.
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