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Bangladesh Violence: ढाका और उसके आसपास के इलाकों में एक बार फिर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में 10 दिनों के भीतर तीसरे हिंदू युवक की हत्या ने पूरे देश में चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है. ताज़ा मामला 42 वर्षीय बजेन्द्र बिस्वास की हत्या का है, जिन्हें गोली मारकर जान से मार दिया गया.
कारखाने के भीतर गोली मारकर हत्या
मिली जानकारी के मुताबिक, यह घटना मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में स्थित एक कपड़ा कारखाने में हुई. बजेन्द्र बिस्वास उसी फैक्ट्री में काम करते थे और साथ ही वे अंसार बल के सदस्य भी थे. अंसार बांग्लादेश का एक अर्धसैनिक संगठन है, जो ग्रामीण सुरक्षा और कानून-व्यवस्था में सहायता करता है.
"দাদা গুলি করে দেই?" বলেই গুলি চালালো! প্রাণ গেল বজেন্দ্র বিশ্বাস নামের এক আনসার সদস্যের!#AllEyesOnBangladeshiHinduspic.twitter.com/pkCQAf9qu5
— Avro Neel Hindu 🕉️🇧🇩 (@avroneel80) December 30, 2025
बताया जा रहा है कि किसी सहकर्मी ने ही कारखाने के भीतर उन पर गोली चला दी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. हत्या के पीछे की वजह अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन जांच जारी है.
मयमनसिंह पहले भी रहा है हिंसा का गवाह
यह वही जिला है, जहां 18 दिसंबर को दीपू चंद्र दास नामक हिंदू युवक की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. उस घटना में पहले युवक को पीटा गया और फिर बीच चौराहे पर जला दिया गया, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. अब उसी जिले में एक और हिंदू युवक की हत्या ने यह संकेत दिया है कि हालात सामान्य नहीं हैं.
ढाका में भी हुई थी हालिया हत्या
मयमनसिंह की घटना से ठीक तीन दिन पहले ढाका में अमृत मंडल नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आरोप लगाया गया था कि अमृत मंडल पर कथित तौर पर 'हफ्ता मांगने' का शक था, हालांकि इस दावे को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं. लगातार हो रही इन हत्याओं ने हिंदू समुदाय में भय का माहौल पैदा कर दिया है.
हिंदू समुदाय में बढ़ता डर और असुरक्षा
बीते कुछ समय से बांग्लादेश में हिंदुओं के घर जलाने, दुकानों को निशाना बनाने और व्यक्तियों पर हमलों की खबरें सामने आती रही हैं. ताज़ा घटनाओं ने यह आशंका और गहरी कर दी है कि अल्पसंख्यक समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है. कई सामाजिक संगठनों ने सरकार से कड़ी कार्रवाई और सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है.
सरकार और प्रशासन पर सवाल
लगातार हो रही इन घटनाओं के बावजूद ठोस कार्रवाई न होने से सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. अब देखना होगा कि बांग्लादेशी प्रशासन इन हत्याओं को केवल आपराधिक घटनाएं मानता है या अल्पसंख्यकों पर लक्षित हिंसा के रूप में गंभीरता से लेकर ठोस कदम उठाता है.
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