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Indian Mobile Congress Photograph: (Social)
New Delhi: भारत अब 6G तकनीक के युग में कदम रख रहा है. सी-डॉट और आईआईटी मद्रास मिलकर ऐसी कई उन्नत तकनीकें विकसित कर रहे हैं जो देश की सुरक्षा, संचार और आपातकालीन सेवाओं में नई दिशा देने जा रही हैं.
डिफेंस और सिविल एप्लीकेशन
सी-डॉट द्वारा विकसित 'साक्षी' तकनीक रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित ड्रोन जैमिंग और हैकिंग सिस्टम है. अभी तक दुश्मन के ड्रोन को रोकने के लिए पूरी फ्रीक्वेंसी बंद करनी पड़ती थी, लेकिन 6G की मदद से अब सिर्फ लक्षित ड्रोन को जाम या हैक कर दुश्मन के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकेगा. वहीं 'निशा' प्रोजेक्ट के तहत 28 सैटेलाइट की मदद से पूरे भारत में सैटेलाइट बेस्ड हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा देने की योजना है. इसके जरिए सेना आसपास के देशों की हर गतिविधि पर भी नजर रख सकेगी. 'स्मृति' प्रोजेक्ट के माध्यम से सीमाओं पर भूगोल में हुए छोटे बदलावों को भी 6G तकनीक से ट्रैक किया जा सकेगा.
नेक्स्ट जनरेशन कम्युनिकेशन
आईआईटी मद्रास 'वाई-फाई के बाद लाई-फाई' तकनीक विकसित कर रहा है, जिसमें एलईडी लाइट्स के जरिए इंटरनेट पहुंचाया जाएगा. यह तकनीक वाई-फाई से कई गुना तेज होगी. इसके साथ क्वांटम कम्युनिकेशन तकनीक को भी 47 किलोमीटर की दूरी तक सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है, जिसे हैक नहीं किया जा सकता. इसके अलावा एनालॉग कम्युनिकेशन सिस्टम से इंटरनेट ट्रांसमिशन में 20 गुना कम ऊर्जा लगेगी.
आपातकालीन संचार और अलर्ट सिस्टम
सरकार ने ऐसी प्रणाली विकसित की है जिससे किसी भी प्राकृतिक आपदा या युद्ध जैसी स्थिति में सभी मोबाइल, टीवी और नोटिस बोर्ड पर एक साथ अलर्ट संदेश भेजे जा सकते हैं. यहां तक कि पुराने फोन पर भी संदेश और सायरन अलार्म पहुंच जाएगा. इसरो की नाविक सैटेलाइट के जरिए समुद्र में मछुआरों तक भी आपात संदेश पहुंचाना संभव हो चुका है.
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स्वदेशी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
6G उपकरणों के लिए लिथियम, कॉपर और रेयर अर्थ मिनरल्स की खोज में खान मंत्रालय सक्रिय है. वहीं, एआई आधारित मशीन लर्निंग रोबोट और सिलिकॉन चिप टेस्टिंग में भी भारत आत्मनिर्भर बन रहा है.
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