17 साल बाद जेल से रिहा हुआ अंडरवर्ल्ड डॉन Arun Gawli, जानें कैसे बना Mumbai का Don

अंडरवर्ल्ड में एक बड़ा नाम- अरुण गवली, जिसे लोग ‘डैडी’ भी कहते हैं. 17 साल बाद वह जेल से बाहर आए और उनकी वापसी के साथ ही मुंबई में हलचल बढ़ गई.

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Deepak Kumar
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अंडरवर्ल्ड में एक बड़ा नाम- अरुण गवली, जिसे लोग ‘डैडी’ भी कहते हैं. 17 साल बाद वह जेल से बाहर आए और उनकी वापसी के साथ ही मुंबई में हलचल बढ़ गई.

मुंबई का नाम आते ही अंडरवर्ल्ड की दुनिया भी याद आती है. इसी अंडरवर्ल्ड में एक बड़ा नाम रहा है- अरुण गवली, जिसे लोग ‘डैडी’ भी कहते हैं. 17 साल बाद गवली जेल से बाहर आए और उनकी वापसी के साथ ही मुंबई में हलचल बढ़ गई.

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डांगड़ी चौल से शुरू हुआ सफर

अरुण गवली का जन्म एक साधारण मराठी परिवार में हुआ था. लेकिन 80 के दशक में उन्होंने मुंबई की डांगड़ी चौल से अपराध की दुनिया में कदम रखा. शुरुआत में वह रामा नाईक गैंग से जुड़े और फिर दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन तक पहुंचे. उस वक्त उनका काम हथियारों की तस्करी और रंगदारी से जुड़ा था.

1988 में उनके दोस्त और गैंग लीडर रामा नाईक की हत्या कर दी गई. इसके बाद गवली ने दाऊद से दुश्मनी मोल ली. यह दुश्मनी सालों तक चली और गैंगवार में कई लोग मारे गए. 1992 में दाऊद इब्राहिम के बहनोई इब्राहिम पारकर की हत्या का आरोप भी गवली के लोगों पर लगा.

दाऊद से दुश्मनी के बावजूद छोटा राजन भी गवली का विरोधी था. इस वजह से वह अंडरवर्ल्ड में हर तरफ से दुश्मनों से घिरे रहे. 1993 मुंबई बम धमाकों के बाद जब दाऊद देश छोड़कर भागा, तो गवली को मुंबई में अपना नेटवर्क फैलाने का मौका मिला. धीरे-धीरे उन्होंने डांगड़ी चौल को अपना गढ़ बना लिया.

राजनीति में एंट्री

अपराध की दुनिया से निकलकर गवली ने राजनीति में कदम रखा. उन्होंने 2004 में अखिल भारतीय सेना नाम से पार्टी बनाई और मुंबई की चिंचपोकली सीट से विधायक चुने गए. उन्हें स्थानीय लोगों का काफी समर्थन मिला और कई लोग उन्हें ‘रॉबिनहुड’ की छवि में देखने लगे.

हत्या और सजा

लेकिन 2008 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसेकर की हत्या ने उनकी किस्मत बदल दी. इस मामले में 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने गवली को उम्र कैद की सजा सुनाई और तब से वह जेल में थे.

जेल से रिहाई के बाद

अब 17 साल बाद गवली को जमानत मिली है और वह नागपुर जेल से बाहर आए हैं. जब वे मुंबई लौटे तो डांगड़ी चौल में उनका स्वागत किसी हीरो की तरह हुआ. हालांकि, पुलिस अभी भी उनकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है.

अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अरुण गवली दोबारा राजनीति में वापसी करेंगे या शांत जीवन बिताएंगे. उनकी रिहाई ने एक बार फिर मुंबई को उनके पुराने किस्सों की याद दिला दी है.


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