Pune: पुणे के भाऊ रंगारी गणपति मंडल पहुंचे लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, उतारी आरती

Pune: श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति मंडल का इतिहास भी इस अवसर को और महत्वपूर्ण बनाता है. वर्ष 1892 में स्थापित यह मंडल पुणे का पहला सार्वजनिक गणपति मंडल माना जाता है.

Pune: श्रीमंत भाऊसाहेब रंगारी गणपति मंडल का इतिहास भी इस अवसर को और महत्वपूर्ण बनाता है. वर्ष 1892 में स्थापित यह मंडल पुणे का पहला सार्वजनिक गणपति मंडल माना जाता है.

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Pankaj R Mishra
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Pune Ganeshotsav

Pune Ganeshotsav Photograph: (NN)

Pune: गणेशोत्सवकीरौनकसेसजीपुणेकीगलियोंमेंउससमयश्रद्धाऔरगर्वकामाहौलबनगयाजबदक्षिणीकमानकेजनरलऑफिसरकमांडिंग-इन-चीफलेफ्टिनेंटजनरलधीरजसेठनेऐतिहासिकश्रीमंतभाऊसाहेबरंगारीगणपतिमंडलमेंपहुंचकरआरतीउतारी. उनकीउपस्थितिनेइस पारंपरिक पर्व को और खास बना दिया.

गणेशोत्सव के दौरान आना सौभाग्य 

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दर्शन के बाद लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने कहा कि पुणे में गणेशोत्सव के दौरान आना उनके लिए सौभाग्य की बात है. उन्होंने भावुक होकर बताया कि यह लगातार दूसरा वर्ष है जब उन्हें यहां आने और गणपति बप्पा का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला है. उन्होंने प्रार्थना की, 'गणपति बप्पा सभी की रक्षा करें, सबके जीवन में सुख-समृद्धि लाएं और हर कोई अपने क्षेत्र में प्रगति करे.'

श्रद्धालु हो गए भाविभोर

लेफ्टिनेंट जनरल की इस कामना को सुनकर उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे. नागरिकों ने कहा कि सेना के शीर्ष अधिकारी का इस तरह सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों में भाग लेना सेना और समाज के बीच गहरे जुड़ाव को दर्शाता है. लोगों ने इसे पुणे के लिए गर्व का क्षण बताया.

1892 में हुई थी मंडल की स्थापना

श्रीमंत भाऊसाहेबरंगारी गणपति मंडल का इतिहास भी इस अवसर को और महत्वपूर्ण बनाता है. वर्ष 1892 में स्थापित यह मंडल पुणे का पहला सार्वजनिक गणपति मंडल माना जाता है. लोकमान्य तिलक और भाऊरंगारी की प्रेरणा से शुरू हुए सार्वजनिक गणेशोत्सव आंदोलन की जड़ें इसी मंडल से जुड़ी हैं. आज भी यह मंडल पुणे की सांस्कृतिक विरासत और सामूहिक श्रद्धा का प्रतीक है.

क्या कहते हैं स्थानीय नागरिक

स्थानीय नागरिकों के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल सेठ की उपस्थिति केवल औपचारिक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह आस्था और नेतृत्व का संगम था. उनके शब्दों और प्रार्थना ने यह संदेश दिया कि राष्ट्ररक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाली सेना समाज की सांस्कृतिक धड़कन से भी उतनी ही नजदीकी से जुड़ी है.

गणेशोत्सव की यही विशेषता है कि जहां धर्म, संस्कृति और नेतृत्व मिलकर समाज में एकता, सकारात्मकता और प्रगति का संदेश फैलाते हैं. पुणे में दक्षिणी कमान प्रमुख की यह उपस्थिति इसी भावना की जीवंत मिसाल बन गई.

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