Indian Army Retired Dogs: भारतीय सेना के रिटायर्ड सैन्य डॉग्स, जिन्होंने देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया, अब एक नई भूमिका निभा रहे हैं. ये अद्भुत डॉग्स, जो अपनी विशेष प्रशिक्षण, शांत स्वभाव और अटूट निष्ठा के लिए जाने जाते हैं, अब विशेष बच्चों के स्कूलों और देशभर के परोपकारी नागरिकों द्वारा गोद लिए जा रहे हैं. यह पहल न केवल उनकी सेवा के प्रति सम्मान है, बल्कि उन्हें समाज में खुशी और प्यार फैलाने का मौका भी देती है.
आशा स्कूल और परोपकारी लोगों को सौंपे गए सैन्य डॉग्स
246वें रीमाउंट वेटरनरी कोर दिवस के अवसर पर भारतीय सेना ने 12 रिटायर्ड सैन्य डॉग्स को 'आशा स्कूल्स' और परोपकारी नागरिकों को सौंपा. यह प्रयास सेना की उस सोच को दर्शाता है, जिसमें वह न केवल देश की रक्षा करती है, बल्कि अपने बहादुर सैनिकों– चाहे वे मानव हों या पशु– के प्रति सम्मान भी दिखाती है.
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सैन्य अभियानों में निभा चुके हैं भूमिका
इन 'K-9 हीरोज' ने कठिन परिस्थितियों और विभिन्न ऑपरेशनल भूमिकाओं में देश की सेवा की है. उन्होंने विस्फोटक और माइंस का पता लगाने, हिमस्खलन में बचाव कार्य, खोज और ट्रैकिंग जैसी जिम्मेदारियां निभाई हैं. इन कार्यों के लिए सेना ने रैंपुर हाउंड, मुडहोल हाउंड, कोम्बाई, चिप्पीपराई और राजापालयम जैसे स्वदेशी नस्लों का भी इस्तेमाल करना शुरू किया है.
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जरूरतमंद बच्चों के लिए थेरेपी के रूप में करते हैं काम
ये डॉग्स विशेष रूप से जरूरतमंद बच्चों के लिए थेरेपी के रूप में बहुत फायदेमंद साबित हो रहे हैं. उनकी उपस्थिति से बच्चों के सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक कौशल में सुधार होता है. वहीं, इन डॉग्स को अपनाने वाले परिवारों और व्यक्तियों को न केवल एक वफादार साथी मिलता है, बल्कि एक ऐसे देशभक्त को प्यार और देखभाल देने का अवसर भी मिलता है, जिसने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया.
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रीमाउंट वेटरनरी सर्विसेज के महानिदेशक ने इस अवसर पर बताया कि रीमाउंट वेटरनरी कोर ने कुत्तों की प्रजनन, पालन-पोषण, प्रशिक्षण और उन्हें ऑपरेशनल भूमिकाओं में तैनात करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अपनी सेवा पूरी करने के बाद, इन डॉग्स को मेरठ कैंट स्थित 'कैनाइन जेरियाट्रिक सेंटर' में भेजा जाता है, जहां उन्हें आरामदायक जीवन और बेहतरीन देखभाल मिलती है.
भारतीय सेना अपने रिटायर्ड घोड़े और डॉग्स के लिए जेरियाट्रिक सेंटर चलाती है, जहां उन्हें सेवानिवृत्त मानव सैनिकों की तरह ही सम्मान और देखभाल दी जाती है. यह उनके प्रति सेना की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.