त्रिपुरा के सीएम को पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का भरोसा, लेकिन इंडिया ब्लॉक को हल्के में नहीं ले रहे (आईएएनएस साक्षात्कार)
त्रिपुरा के सीएम को पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का भरोसा, लेकिन इंडिया ब्लॉक को हल्के में नहीं ले रहे (आईएएनएस साक्षात्कार)
अगरतला:
त्रिपुरा राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष साहा ने कहा कि पार्टी ने पूरी गंभीरता के साथ चुनाव लड़ा और प्रतिद्वंद्वी दलों को कभी कमजोर नहीं माना।
मुख्यमंत्री ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, हम त्रिपुरा और देश के अन्य हिस्सों में चुनाव नतीजों से संतुष्ट नहीं हैं। हमारी चुनौती पिछले चुनावों की तुलना में अपनी जीत का अंतर बढ़ाने की है।
यह स्वीकार करते हुए कि त्रिपुरा में अभी भी वाम दलों का कुछ आधार है, उन्होंने कहा कि भाजपा उन विधानसभा क्षेत्रों में बेहतर परिणाम प्राप्त करने की कोशिश कर रही है जहां पार्टी तुलनात्मक रूप से संतोषजनक प्रदर्शन नहीं करती है या पिछले साल 16 फरवरी को विधानसभा चुनाव में सीटें हार गई थी।
त्रिपुरा में दो लोकसभा सीटें हैं और प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में 30-30 विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
पिछले साल के विधानसभा चुनावों में, सत्तारूढ़ भाजपा ने 60 में से 32 सीटें जीती थीं, जबकि उसके सहयोगी, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा ने एक सीट हासिल की।
आदिवासी आधारित टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) ने 13 सीटें हासिल कीं, जबकि माकपा को 11 और कांग्रेस को तीन सीटें मिलीं। माकपा और कांग्रेस ने सीट बंटवारे की व्यवस्था के तहत विधानसभा चुनाव लड़ा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के सर्वांगीण विकास और लोगों के कल्याण तथा क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने क्षेत्र के विभिन्न संगठनों और समुदायों के साथ 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें 2 मार्च को टीएमपी के साथ एक समझौता भी शामिल है।
उन्होंने कहा, टीएमपी के साथ त्रिपक्षीय समझौते से 12 लाख जनजातीय (आदिवासियों) का और विकास होगा तथा उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और आदिवासी क्षेत्रों में सुचारू विकास की सुविधा के अलावा उन्हें खुशहाल बनाया जाएगा।
इस समझौते के बाद पूर्ववर्ती विपक्षी पार्टी टीएमपी 7 मार्च को भाजपा सरकार में शामिल हो गई और पार्टी के दो विधायक भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बन गए।
डेंटल सर्जन से राजनेता बने 70 वर्षीय मुख्यमंत्री ने कहा, “टीएमपी के साथ समझौते के बावजूद, हमारी जनजाति मोर्चा (भाजपा की आदिवासी शाखा) आदिवासी क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों को और बढ़ाएगी। कोई दिक्कत नहीं होगी। हम अपनी नीतियों, रणनीतियों और मिशन के साथ चलेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के शीर्ष पद से इस्तीफा देने के बाद साहा मई 2022 में मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले कुछ समय के लिए वह राज्यसभा सदस्य भी थे। उन्होंने कहा कि चूंकि लोगों ने भाजपा सरकार की नीतियों और शासन को सहर्ष स्वीकार कर लिया है, इसलिए हमारी जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं।
लोकसभा चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी की वजह से देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में भाजपा की साख बढ़ी है।
सीएम ने कहा, “मोदी सरकार और हमारी पार्टी ने जब भी कोई वादा किया, उसे हमेशा पूरा किया गया। चाहे वह अनुच्छेद 370, राम मंदिर, सीएए या तीन तलाक का मुद्दा हो - हमने सभी वादे पूरे किए। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ, पीएम मोदी ने भारतीय और विदेशों में रहने वाले करोड़ों लोगों की 500 साल पुरानी आशाओं और आकांक्षाओं को साकार किया है।
लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के नारे के लिए माकपा और कांग्रेस की आलोचना करते हुए साहा ने कहा कि दोनों पार्टियों को लोकतंत्र के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा, “हमारे पास सभी रिकॉर्ड हैं कि कांग्रेस और वाम दलों दोनों के शासनकाल के दौरान कई निर्दोष लोग और विपक्षी दलों के नेता मारे गए थे।
माकपा सरकार अपने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बमल सिन्हा (जो मार्च 1998 में आतंकवादियों द्वारा मारे गए थे) की रक्षा नहीं कर सकी। वामपंथी शासन के दौरान कई विधायकों की भी हत्या कर दी गई।
साहा ने कहा कि लोगों ने केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में माकपा के शासन का अनुभव किया है और उनका अनुभव बहुत भयावह रहा है।
पिछले साल के विधानसभा चुनावों में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष आशीष कुमार साहा को हराने के बाद दूसरी बार टाउन बोर्डोवाली सीट से चुने गए साहा ने टिप्पणी की, “इंडिया ब्लॉक का चेहरा कौन है? गठबंधन में असमंजस की स्थिति है। बिना किसी विश्वसनीयता के वे लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं।”
सात चरण के लोकसभा चुनाव के पहले चरण में त्रिपुरा पश्चिम संसदीय सीट के लिए मतदान 19 अप्रैल को होगा, जबकि त्रिपुरा पूर्व (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र के लिए दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा।
रामनगर विधानसभा सीट पर भी 19 अप्रैल को उपचुनाव होगा। पिछले साल 28 दिसंबर को मौजूदा भाजपा विधायक सुरजीत दत्ता के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी।
दो महिलाओं सहित कुल 18 उम्मीदवार दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, रामनगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा और माकपा से एक-एक उम्मीदवार अपनी चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं।
दो सीटों के लिए लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और इंडिया ब्लॉक के बीच होने की उम्मीद है, जिसमें कांग्रेस, माकपा और छह अन्य दल शामिल हैं।
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