अंबेडकर बंधुओं के बीच पत्र युद्ध से महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट पर असमंजस
अंबेडकर बंधुओं के बीच पत्र युद्ध से महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट पर असमंजस
अमरावती (महाराष्ट्र):
तू तू-मैं मैं शैली के इस झगड़े ने अमरावती (एससी) सीट पर तथाकथित तीसरे कारक के प्रवेश पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। इस सीट से अभिनेत्री से राजनेेेता बनीं मौजूदा सांसद नवनीत कौर-राणा महायुति-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहीें हैं, वहीं महा विकास अघाड़ी-इंडिया ब्लॉक से कांग्रेस विधायक बलवंत बी. वानखड़े खड़े हैं।
वीबीए को नाराज करते हुए रिपब्लिकन सेना के अध्यक्ष आनंदराज अंबेडकर अचानक चुनाव मैदान में कूद पड़े और तीन दिन पहले नामांकन कर दिया।
लेकिन गुरुवार को आनंदराज अंबेडकर का अचानक हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने घोषणा की कि वह विपक्षी वोटों के विभाजन को रोकन लिए प्रकाश अंबेडकर की वीबीए के पक्ष में अपना नामांकन वापस ले रहे हैं।
एक बयान में, उन्होंने बताया कि उन्होंने वीबीए से समर्थन मांगा था।
लेकिन, वीबीए ने उनके प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया, इसलिए उन्होंने वीबीए के उम्मीदवार प्राजक्ता टी. पिल्लेवान और अन्य उम्मीदवारों के खिलाफ अमरावती (एससी) में चुनाव लड़ने का फैसला किया।
आनंदराज अंबेडकर के चुनाव लड़ने और फिर हटने के फैसले के कुछ घंटों बाद, वीबीए की राज्य अध्यक्ष रेखा ठाकुर ने एक बयान जारी कर उन्हें अपना समर्थन दिया और उनसे अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं लेने को कहा।
ऐसे में वर्तमान स्थिति दोनों गुटों के लिए शर्मनाक हो गई है। आनंदराज अंबेडकर का दावा है कि उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है। उधर, वीबीए के उम्मीदवार प्राजक्ता टी. पिल्लेवान ने चार अप्रैल की आखिरी तारीख से पहले अपना नामांकन दाखिल नहीं किया था।
वीबीए के उपाध्यक्ष सिद्धार्थ मोकले ने आईएएनएस को बताया,“चूंकि हमने रिपब्लिकन सेना का समर्थन करने का फैसला किया, इसलिए हमारे उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया। गेंद अब आनंदराज अंबेडकर के पाले में है, फैसला उन्हें करना है।
आनंदराज अंबेडकर ने आईएएनएस से कहा, अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है कि मैं इस सीट से चुनाव लड़ूंगा या नहीं, मेरी पार्टी तय करेगी कि क्या करना है।
एक अन्य पत्र में, वीबीए और रिपब्लिकन सेना ने अंबेडकर भाइयों के बीच कथित गलतफहमी से उत्पन्न हालात के लिए एक-दूसरे पर उंगली उठाई है।
भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉ. बी.आर. अंबेडकर के वंशजों के नेतृत्व वाली दलित समर्पित दो पार्टियों की इस स्थिति से दलितों के लिए आरक्षित संसदीय क्षेत्र में अंबेडकर चुनाव से बाहर हो सकते हैं। तस्वीर सोमवार तक साफ हो जाएगी।
लेकिन, भाजपा का सिरदर्द अभी भी खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि सत्तारूढ़ महायुति के सहयोगी, प्रहार जनशक्ति पार्टी (पीएचपी) के प्रमुख ओमप्रकाश बी. कडू, उर्फ बच्चू कडू ने नवनीत कौर-राणा को हर कीमत पर हराने का संकल्प लिया है और उनके खिलाफ प्रचार कर रहे हैं।
नवनीत राणा ने अपने विरोधी सभी दलों और समूहों से मतभेदों को दूर करने और तीसरे कार्यकाल के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करने के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने की अपील की है।
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