Delhi Red Fort Blast: बड़ा खुलासा! इन चार देशों से जुड़ा है भारत को दहलाने की साजिश का प्लान?

दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सामने आता दिख रहा है. शुरुआती जांच में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, दुबई और तुर्की से जुड़े कथित तारों का पता चला है, जिनके जरिए हमले की साजिश रची गई थी.

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Deepak Kumar
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दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सामने आता दिख रहा है. शुरुआती जांच में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, दुबई और तुर्की से जुड़े कथित तारों का पता चला है, जिनके जरिए हमले की साजिश रची गई थी.

दिल्ली ब्लास्ट केस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. जांच एजेंसियों को शक है कि इस साजिश के पीछे चार देशों का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था- अफगानिस्तान, पाकिस्तान, दुबई और तुर्की. यह पूरा नेटवर्क कथित रूप से फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉक्टरों के इर्द-गिर्द घूमता दिखाई दे रहा है.

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जांच के मुताबिक

सबसे पहले बात अफगानिस्तान की. भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते भले ही औपचारिक तौर पर सौहार्दपूर्ण हों, लेकिन जांच एजेंसियों को पता चला है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी का एक डॉक्टर, डॉ. मुजफ्फर, अगस्त महीने में अचानक फरार हो गया और सीधे अफगानिस्तान पहुंच गया. एनआईए और अन्य खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, उसकी गतिविधियां संदिग्ध पाई गई हैं और उसके वहां के कुछ समूहों से संपर्क के संकेत मिले हैं.

अब बात पाकिस्तान की. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पर इस साजिश को तैयार करने का गंभीर शक है. जांच में यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क का कनेक्शन पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से भी जुड़ा हुआ था. फरीदाबाद की इसी यूनिवर्सिटी में मौजूद एक महिला डॉक्टर के पास से AK-47 और जिंदा कारतूस मिलने के बाद शक और गहरा हो गया.

तीसरा लिंक दुबई का है. भारत और यूएई के रिश्ते अच्छे होने के बावजूद, जांच में यह सामने आया है कि कथित आतंकी नेटवर्क को फंडिंग देने का बड़ा हिस्सा दुबई के जरिए, खासकर क्रिप्टोकरेंसी चैनल्स के माध्यम से किया जा रहा था.

चौथा और बेहद अहम कनेक्शन तुर्की का है. साल 2022 में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कई प्रोफेसर और डॉक्टर तुर्की की राजधानी अंकारा गए थे. वहीं उनकी मुलाकात एक कथित हैंडलर से हुई, जिसके साथ उनका संपर्क एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स के जरिए लगातार जारी था.

कुल मिलाकर, जांच में यह संकेत मिल रहे हैं कि दिल्ली ब्लास्ट केस में गैर-राज्य और राज्य दोनों तरह के नेटवर्क शामिल हो सकते हैं. इन चार देशों से जुड़े संदिग्ध तार इस केस को और गंभीर और जटिल बनाते हैं.

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