Karnataka Cold Wave Alert: उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक ठंड का प्रकोप जारी, कर्नाटक में शीतलहर का अलर्ट

Karnataka Cold Wave Alert: उत्तर भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण के राज्य भी इस बार ठंड से कांप रहे हैं. दरअसल, कर्नाटक के कई जिलों में इस बार जमकर ठंड पड़ रही है. इस बीच मौसम विभाग ने कई जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया है.

Karnataka Cold Wave Alert: उत्तर भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण के राज्य भी इस बार ठंड से कांप रहे हैं. दरअसल, कर्नाटक के कई जिलों में इस बार जमकर ठंड पड़ रही है. इस बीच मौसम विभाग ने कई जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया है.

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Suhel Khan
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Karnataka Cold Wave Alert:

कर्नाटक में शीतलहर का अलर्ट जारी Photograph: (Social Media)

Karnataka Cold Wave Alert: जम्मू-कश्मीर समेत पहाड़ी राज्यों में इनदिनों जमकर बर्फबारी हो रही है. जिसका असर मैदानी राज्यों में भी देखने को मिल रहा है. यही नहीं इस बार दक्षिण भारत में भी लोग ठंड से कांप रहे हैं. इस बीच कर्नाटक के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है. जिसे देखते हुए अधिकारियों ने कई इलाकों में शीतलहर की चेतावनी जारी की है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य के करीब आधे जिलों में पिछले कुछ वर्षों में न्यूनतम तापमान में अत्यधिक गिरावट देखने को मिली है. जो एक ऐसे पैटर्न की ओर इशारा करता है जो केवल सर्दियों तक ही सीमित नहीं है.

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कर्नाटक में पिछले दो दशक में गिरा सबसे ज्यादा तापमान

वहीं राज्य के इन जिलों में अब तक के दस सबसे कम न्यूनतम तापमानों में से अधिकांश 2005 के बाद दर्ज किए गए हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, बेंगलुरु ग्रामीण में न्यूनतम तापमान 9.5 डिग्री सेल्सियस, मैसूर में 8.1, रायचूर में 7.1, विजयपुरा में 6 और बीदर में न्यूनतम तापमान 5.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. आंकड़ों के मुताबिक, साल 1901 के बाद से अब तक के दस सबसे ठंडे वर्ष पिछले दो दशकों में दर्ज किए गए हैं. वहीं  बागलकोट में 2022 के बाद से चार दशकों से अधिक के इतिहास में आठ सबसे ठंडे वर्ष दर्ज किए गए हैं, जहां न्यूनतम तापमान 6.6 डिग्री तक गिर गया.

क्यों बदल रहा कर्नाटक का मौसम?

मौसम विज्ञानिकों के मुताबिक, तापमान में गिरावट का कारण पश्चिमी विक्षोभ और जेट स्ट्रीम है. जिसके चलते स्वास्थ्य जोखिमों और फसलों में फफूंद रोगों के प्रसार को लेकर चिंताओं के चलते शीत लहर की चेतावनी जारी की गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष तीनों ऋतुओं में मौसम में अत्यधिक बदलाव देखने को मिले हैं और लंबे समय तक चले मानसून ने राज्य भर में असामान्य रूप से ठंडी परिस्थितियों का माहौल बना दिया है. तापमान में हाल ही में आई तीव्र गिरावट वैश्विक और स्थानीय वायुमंडलीय कारकों के मिश्रण से जुड़ी है, जिसमें प्रशांत महासागर में 'ला नीना' घटना भी शामिल है.

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इन जिलों में पड़ी सबसे ज्यादा ठंड

इस बीच, कलबुर्गी, चित्रदुर्ग, हसन और चिक्कमगलुरु जैसे जिलों में भी पिछले दो दशकों में भीषण ठंड पड़ी है, जहां तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे भी नीचे गिर गया है. इन जिलों में अकेले 21वीं सदी में सात से आठ सबसे ठंडे वर्ष दर्ज किए गए हैं. ऐतिहासिक रिकॉर्ड यह भी संकेत देते हैं कि धारवाड़, बेलगावी, हावेरी, दावणगेरे और बेंगलुरु के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों सहित जिलों में जनवरी में तापमान और भी गिरने की संभावना है, जिससे जनवरी दिसंबर से भी अधिक ठंडा हो जाएगा.

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