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शास्त्रीय गायक छन्नूलाल मिश्र का निधन Photograph: (Social Media)
Pandit Chhannulal Mishra Passes Away: पद्मविभूषण शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार तड़के निधन हो गया. उन्होंने 91 वर्ष की आयु में मिर्जापुर में अंतिम सांस ली. प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक छन्नूलाल मिश्र पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे. बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में उनका इलाज चल रहा था. गुरुवार सुबह 4.15 बजे मिर्जापुर में उनका निधन हो गया. उनके निधन की खबर सुनते ही से संगीत जगत शोक की लहर दौड़ गई. जानकारी के मुताबिक, प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक का अंतिम संस्कार गुरुवार को ही वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा. उन्होंने खयाल और पूर्वी ठुमरी शैली के शास्त्रीय संगीत को नए आयाम दिए.
आजमगढ़ में हुआ था पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म
बता दें कि पंडित छन्नूलाल मिश्र को उनके पिता बदरी प्रसाद मिश्र ने ही संगीत की प्रारंभिक शिक्षा दी. 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में जन्मे पंडित छन्नूलाल मिश्र ने उसके किराना घराने के उस्ताद अब्दुल घनी खान से भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की. पंडित छन्नूलाल मित्र की शादी प्रसिद्ध तबला वादक पंडित अनोखेलाल मिश्र की बेटी के साथ हुई थी. गायकी की 'ठुमरी' और 'पुरब अंग' शैली पंडित छन्नूलाल मिश्र की गंभीर, भावपूर्ण और अनूठी आवाज से अमर हो गई.
Uttar Pradesh | Pandit Chhannulal Mishra passed away at 4 am today in Mirzapur. He had been ill for several months. His last rites will be held in Varanasi today; his daughter Namrata Mishra confirmed to ANI on the phone
— ANI (@ANI) October 2, 2025
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बॉलीवुड फिल्म के लिए भी गाए गाने
पंडित छन्नूलाल मिश्र ने अपने संगीत के सफर में कई ऊंचाईयां हासिल की. शास्त्रीय संगीत के लिए उन्हें 2010 में पद्मभूषण और 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही पंडित छन्नूलाल मिश्र ने ने सुर सिंगार संसद और बॉम्बे का 'शिरोमणि पुरस्कार' भी जीता. इसके अलावा उन्हें उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, बिहार संगीत शिरोमणि पुरस्कार और नौशाद अवॉर्ड जैसे सम्मानों से नवाजा गया.
यही नहीं भारत सरकार ने उन्हें संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप से सम्मानित किया था. उन्होंने 2011 में आई बॉलीवुड फिल्म आरक्षण के लिए गानों में आवाज दी. प्रकाश झा की इस फिल्म में 'सांस अलबेली' और 'कौन सी डोर' जैसे गाने उन्हीं की आवाज से अमर हो गए. इसके साथ ही उन्होंने तुलसीदास की रामायण, कबीर के भजन, छैत, कजरी और ठुमरी जैसे रागों को भी अपनी आवाज दी.
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