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Brahmos missile
ऑपरेशन सिंदूर ने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं बल्कि चीन को भी गहरी चोट पहुंचाई है. चीनी एयर डिफेंस सिस्टम HQ-9B/HQ-16 भारतीय मिसाइल ब्रह्मोस का मुकाबला नहीं कर पाईं. ब्रह्मोस के सामने चीनी एयर डिफेंस सिस्टम फेल हो गए. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, यही चीज सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही.
चीनी सोशल मीडिया की मानें तो पाकिस्तान ने औपचारिक तौर पर चीन से इसकी शिकायत की है. पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने कहा कि उन्हें जो एयर डिफेंस सिस्टम सप्लाई की गई, वह भारत की सुपरसोनिक मिसाइलों से देश की रक्षा करने में नाकाम हो गई. ब्रह्मोस जैसे हाईस्पाड मैक-3 की क्षमता वाली मिसाइलों को रोकने में चीनी एयर डिफेंस सिस्टम नाकाम हो गए. चीन ने पाकिस्तान को जवाब दिया कि उसके एयर डिफेंस सिस्टम ब्रह्मोस जैसी हाईटेक मिसाइलों को रोकने के लिए बनाए गए हैं. पाकिस्तान को इससे गहरा असंतोष करना पड़ा. बता दें, चायनीज कम्युनिस्ट पार्टी ने ब्रह्मोस को इंडियन आर्मी का ट्रंप कार्ड माना है.
ब्रह्मोस का नेक्स्ट जेनरेशन बनाने वाला है भारत
भारत ने रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को विकसित किया है. इसे विश्व की सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में से एक माना जाता है. ब्रह्मोस कम ऊंचाई पर लक्ष्य पर सीधा हमला करती है. ब्रह्मोस अंतिम हमले के दौरान भी अपनी रफ्तार और विनाशकारी क्षमता बनाए रखती है. इस वजह से इसे ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना मुश्किल हो जाता है. खास बात है कि भारत अब ब्रह्मोस का नेक्स्ट जेनरेशन बना रहा है. इसकी स्पीड मैक-8 होने की संभावना है.
HQ-9B और HQ-16 के बारे में जानें
HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम चीन ने रूस के एस-300 और अमेरिकी पैट्रियट सिस्टम से कॉपी करके बनाई गई थी. चीन से इस बारे में बहुत बड़े बड़े दावे किए थे. चीन का दावा है कि इसका रेंज करीब 250 से 300 किलोमीटर तक है. लंबी दूरी के विमानों और क्रूज मिसाइलों को मार गिराने की इसकी क्षमता है. वहीं, चीन की एचक्यू-16 मध्यम दूरी की प्रणाली है. इसकी मारक क्षमता 40 से 70 किलोमीटर है.
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