पिछले 25 सालों में सबसे ज्यादा जहरीली हुई इस शहर की हवा, दो साल कम हुई लोगों की जिंदगी

Bengaluru Air Quality: भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाने वाला बेंगलुरू शहर में हवा की गुणवत्ता तेजी से खराब हो रही है. बीते 25 सालों में इस शहर की हवा में सांस लेने से लोगों की जिंदगी 8 महीने कम हो गई है.

Bengaluru Air Quality: भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाने वाला बेंगलुरू शहर में हवा की गुणवत्ता तेजी से खराब हो रही है. बीते 25 सालों में इस शहर की हवा में सांस लेने से लोगों की जिंदगी 8 महीने कम हो गई है.

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Suhel Khan
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Bengalutu Air Quality

जहरीली होती जा रही है बेंगलुरू की हवा Photograph: (Social Media)

Bengaluru Air Quality: दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों की हवा तेजी से खराब होती जा रही है. इन शहरों की सूची में बेंगलुरू का नाम भी शामिल हो गया है. जहां पिछले 25 सालों में हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट दर्ज की गई है. जिससे इन सालों में शहर में रहने वाले लोगों की जिंदगी आठ महीने कम हो गई है. 25 साल बाद आए नए वायु प्रदूषण के आंकड़ों के अनुसार, बेंगलुरू में रहने वाले लोगों का जीवन दो साल से ज्यादा कम हो गया है. इस अवधि के दौरान कर्नाटक के प्रत्येक ज़िले में हवा में पीएम-2.5 का स्तर दोगुना हुआ है. हालांकि राज्य में इन सूक्ष्म विषैले कणों की मौजूदगी सबसे प्रदूषित उत्तरी मैदानी इलाकों से कम है.

शिकागो विश्वविद्यालय से लिए गए हैं नए आंकड़े

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बेंगलुरू के वायु प्रदूषण के ये नए आंकड़े शिकागो यूनिवर्सिटी के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक से लिए गए हैं, जो उपग्रह आंकड़ों का उपयोग करके दुनिया भर में वायु गुणवत्ता का आकलन करता है. शोधकर्ताओं ने खतरनाक पीएम-2.5 या 2.5 माइक्रोन आकार के कण पदार्थ पर ध्यान केंद्रित किया है, जो फेफड़ों में प्रवेश करता है और रक्तप्रवाह में पहुंचकर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर देता है.

लगातार खराब हो रही हवा की गुणवत्ता

बीते कुछ सालों में बेंगलुरू की हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हुई है. क्योंकि यहां वायु गुणवत्ता को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा 5 माइक्रोग्राम प्रति वर्ष तक सुधारने से 2016 में प्रत्येक बेंगलुरुवासी के लिए 2.9 वर्ष अतिरिक्त बढ़ रहे हैं. 2018 में यह 2.6 प्रतिवर्ष हो गया. जबकि 2019 तथा 2021 में ये 2.5-2.5 वर्ष रहा है. वहीं 2007 के बाद से, यह आंकड़ा कभी भी दो वर्ष से कम नहीं हुआ है.

एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स की निदेशक का कहना है कि "हमारी वार्षिक रिपोर्टें यह अनुमान नहीं लगातीं कि कितने वर्ष पहले ही नष्ट हो चुके हैं. इसके बजाय, वे यह अनुमान लगाती हैं कि अगर लोग लंबे समय तक किसी दिए गए वर्ष के प्रदूषण स्तर के संपर्क में रहते हैं तो उनकी जिंदगी औसतन कितने वर्ष कम हो सकती है." उन्होंने कहा कि "डिजाइन के अनुसार, वायु गुणवत्ता टूल यह नहीं बता सकता है कि हम ये रुझान क्यों देख रहे हैं, लेकिन यह लोगों को पहचानने में मदद करता है कि समय के साथ प्रदूषण का प्रभाव कहां बिगड़ रहा है."

बता दें कि साल 1998 में आईटी बूम से पहले, बेंगलुरु में पीएम-2.5 का स्तर 13.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, लेकिन 2023 में यह बढ़कर 26.21 माइक्रोग्राम हो गया. वहीं कलबुर्गी (26.31), बीदर (25.01) और बेलगाम (23.72) सहित कई अन्य जिलों में भी इसी तरह का इजाफा देखने को मिला है.

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