Atal Bihari Vajpayee: यहां गुजरा था अटल बिहारी वाजपेयी का बचपन, खाने में पसंद से ये व्यंजन

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी अगर आज हमारे बीच होते तो शायद अपना 100वां जन्मदिन मना रहे होते. लेकिन 16 अगस्त 2018 को लंबी बीमारी के चलते उनका निधन हो गया और वे हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए.

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Suhel Khan
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पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (File Photo)

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है. इस मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ऐसे बातें बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद आपने कभी सुना या पढ़ा न हो. मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानिता. उनका जन्म आगरा के बाह बटेश्वर में हुआ था. यहां पर उनका पैतृक घर है. जहां अब उनकी बहन का बेटा और बहू परिवार संग रहते हैं. 

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खाने के शौकीन थे अटल जी

बताया जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी को खाने का बहुत शौक था. वह जब भी अपने पैतृक गांव जाते थे तो वहां का स्थानीय खाना खाना कभी नहीं भूलते थे. आखिरी बार जब वह बटेश्वर गए तो उन्होंने वहां चूरमा के लड्डू का स्वाद चखना नहीं भूला. यही नहीं पूर्व पीएम वाजपेयी को आम, झरबेरी के बेर और मालपुआ भी बेहद पसंद थे.

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आखिरी बार 1999 में अपने पैतृक गांव गए थे पूर्व पीएम

अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे की पत्नी गंगा देवी कहता हैं कि टलजी बटेश्वर में 6 अप्रैल 1999 को आगरा-इटावा वाया बटेश्वर रेल लाइन का शिलान्यास करने के लिए आए थे. तब उनका आखिरी बार घर का दौरा हुआ था. तब उन्होंने घर पर बने चूरमा के लड्डू बड़े चाव से खाए थे. वह बताती हैं कि उन्हें मालपुआ बेहद पसंद थे. मालपुआ की दावत खाने के लिए वह कई कोस पैदल चले जाते थे.

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फलों में आम खाना था बेहद पसंद

जबकि फलों में उन्हों आम बेहद पसंद थे. पूर्व प्रधानमंत्री के भतीजे राकेश वाजपेयी का कहना है कि परिवार के बुजुर्ग बताते थे कि झरबेरी के बेर तोड़ने को बीहड़ के टीलों पर चढ़ जाते थे. वहीं एक अन्य शिक्षक पुत्तू लाल ने बताया था कि स्कूल में उनका भाषण उम्दा होता था. कविता पाठ पर कई बार पुरस्कार जीते थे. अटलजी के भतीजे अश्वनी वाजपेयी कहते हैं कि बचपन में छुट्टी के बाद यमुना किनारे गुटरियों से खूब खेलते थे. यही नहीं वह कुएं में गुटरियां फेंक कर आने वाली छप्प की आवाज सुन कर खूब ताली बजाते थे.

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