केंद्र ने 2 नए वेरिएंट के बीच बूस्टर गैप को घटाया, तब भी लोगों में वैक्सीन को लेकर डर क्यों ?
बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के गंभीर संक्रमण के खिलाफ आबादी की प्रतिरोधक क्षमता को और बढ़ाने के उद्देश्य से इस कदम को उत्साहजनक माना जा रहा है.
New Delhi:
भारत में पाए गए नए कोविड -19 वेरिएंट के बीच, केंद्र ने बुधवार को बूस्टर खुराक के अंतर को अपने शुरुआती 9 महीनों से घटाकर 6 महीने कर दिया. बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के गंभीर संक्रमण के खिलाफ आबादी की प्रतिरोधक क्षमता को और बढ़ाने के उद्देश्य से इस कदम को उत्साहजनक माना जा रहा है. लेकिन ऐसा क्यों है? और बूस्टर खुराक क्यों महत्वपूर्ण है - दूसरे के बाद लिया गया तीसरा टीका - महत्वपूर्ण?लेकिन आज भी एक ही सवाल है की ऐसा क्यों है.
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न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के अनुसार टियर 2 और टियर 3 शहरों में टियर 1 शहरों की तुलना में बूस्टर खुराक के प्रति अधिक झिझक है .YouGov's Omnibus ने YouGov के पैनल का उपयोग करते हुए 14 से 17 जून, 2022 के बीच भारत में 1,013 शहरी उत्तरदाताओं से इस सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन डेटा एकत्र किया.
यह पाया गया कि टीके की दोनों खुराक प्राप्त करने वालों में से एक उच्च अनुपात (74 प्रतिशत) बिना किसी हिचकिचाहट के बूस्टर खुराक लेने के इच्छुक हैं. लगभग एक-पांचवां (18%) दूसरा शॉट लेने से हिचकिचाता है, जबकि एक-दसवां हिस्सा अनिर्णीत (9 प्रतिशत) होता है। सर्वे के मुताबिक, टीयर 1 शहरों की तुलना में टीयर 2 और 3 शहरों में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट ज्यादा दिखाई दे रही है.
जानकारों के मुताबिक भारत प्रति 1,000 लोगों पर केवल 32 बूस्टर का प्रबंधन करने में कामयाब रहा है, जो जनसंख्या का केवल 3% है. तुलनीय उभरते बाजारों (ईएम) की तुलना में, चीन (547 खुराक), ब्राजील (500 खुराक), मैक्सिको (408 खुराक), इंडोनेशिया (175 खुराक), और फिलीपींस (132 खुराक) भारत से बहुत आगे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बार-बार चेतावनी दी है कि महामारी 'अभी खत्म नहीं हुई है'. इसलिए थर्ड डोस लेना बहुत ज़रूरी है. और हर तरह की सावधानी बरतना भी आव्यशक है.
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