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स्तन कैंसर के मरीज करें ये योगासन, जल्द ठीक होने में मिलेगी मदद

दुनिया भर में स्तन कैंसर के मामले की संख्या करीब 11.6 प्रतिशत है. एक रिपोर्ट के अनुसार, औसतन 2.1 मिलियन लोग मुख्य रूप से महिलाएं सालाना स्तन कैंसर से पीड़ित होती हैं.

Updated on: 01 Jul 2021, 11:19 PM

highlights

  • दुनिया भर में स्तन कैंसर के मामले की संख्या करीब 11.6 प्रतिशत है
  • औसतन 2.1 मिलियन लोग मुख्य रूप से महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित होती हैं
  • भारत में कैंसर के मामलों में लगभग एक तिहाई मामले स्तन कैंसर के होते हैं

नई दिल्ली:

दुनिया भर में स्तन कैंसर (Yoga Poses For Breast Cancer) के मामले की संख्या करीब 11.6 प्रतिशत है. एक रिपोर्ट के अनुसार, औसतन 2.1 मिलियन लोग मुख्य रूप से महिलाएं सालाना स्तन कैंसर से पीड़ित होती हैं. वहीं, अगर बात करें भारत की तो रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर के मामलों में लगभग एक तिहाई मामले स्तन कैंसर के होते हैं. हाल ही में 20 से 30 साल की आयु की महिलाओं में स्तन कैंसर ( Yoga Poses For Breast Cancer ) के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, इस खतरनाक बीमारी का एलोपैथिक इलाज के साथ, योग आपको जल्दी स्वस्थ होने में सहायता कर सकता है. 

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शलबासन
हथेलियों को कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं. अपने पैरों को एक साथ और पैर की उंगलियों को बाहर की ओर रखें. सांस लेते हुए दाहिना हाथ ऊपर उठाएं और बायां पैर पीछे करें. अपना सिर और छाती ऊपर उठाते हुए, अपने हांथ और पैर को सीधा रखें. सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को नीचे लाएं और दूसरी तरफ से दोहराएं. 10-15 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें.

त्रियका भुजंगासन (ट्विस्टेड कोबरा पोज)
हथेलियों को कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं. अपने पैरों को लगभग 2 फीट की दूरी पर अलग अलग रखें, अब अपना सिर उठाते हुए सांस लें, अपनी बाई एड़ी से अपने दाहिने कंधे को देखें, और अपने धड़ को नीचे लाते हुए सांस छोड़ें, दूसरी तरफ से दोहराएं.

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अश्वसंचलन योगासन 
अपने पैरों को आपस में मिलाकर खड़े हो और अपने कंधों को रिलैक्स रखें. अब अपने दाहिने पैर के साथ पीछे हटें और दाहिने घुटने को नीचे करें. ये सुनिश्चित करें की पीठ सीधी हो फिर आपका बायां घुटना और एड़ी 90° पर एक सीधी रेखा में हो. अपनी हथेलियों को जोड़े और आगे देखें, अब पैरों को बदलते हुए दोहराएं.

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वशिष्ठासन
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठें. अब अपने दाएं हाथ की हथेली को जमीन पर रखें.  फिर अपने शरीर का वजन दायीं हथेली और दाएं पैर पर डालें. इसके बाद बाएं पैर को दाएं पैर पर रखें और अपने बाएं हाथ को ऊपर की ओर सीधा रखें. अपना ध्यान बाएं हाथ की उंगलियों पर केंद्रित करें. 10-15 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें, सांस छोड़ें और दूसरी तरफ से दोहराएं.