सोचिए अगर आपके शरीर में किसी और का लिवर लगाया जाए अब सोचिए कि वह लिवर इंसान का नहीं बल्कि सूअर का हो. जी हां साइंस ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो सुनने में अजीब लगे, लेकिन भविष्य में लाखों जिंदगियां बचा सकता है. चीन के डॉक्टरों ने पहली बार सूअर का लिवर इंसान में ट्रांसप्लांट कर दिया और वह भी बिना किसी रिएक्शन के. आखिर यह कैसे हुआ. क्या अब इंसान को सूअर के अंग मिल सकेंगे और सबसे बड़ा सवाल क्या यह टेक्नोलॉजी ऑर्गन डोनेशन की कमी को खत्म कर पाएगी. पूरा मामला बेहद दिलचस्प है चलिए इसे डिटेल में समझते हैं.
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करोड़ों लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण
ऑर्गन ट्रांसप्लांट यानी अंग प्रत्यारोपण दुनिया में करोड़ों लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है, लेकिन दिक्कत यह है कि डोनर्स बहुत कम है और जरूरतमंद बहुत ज्यादा है. हर साल हजारों लोग लिवर फेलियर की वजह से अपनी जान गवा देते हैं. क्योंकि उन्हें समय पर नया लिवर नहीं मिल पाता, लेकिन अब साइंस ने एक चमत्कार कर दिखाया है. चीन के वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसान में एक सूअर का लिवर ट्रांसप्लांट कर दिया और वह भी बिना किसी गंभीर साइड इफेक्ट के 10 दिन तक सही तरीके से काम करता रहा. यह सिर्फ एक प्रयोग था, लेकिन इसके नतीजे इतने शानदार रहे कि अब डॉक्टर इसे एक जिंदा इंसान पर आजमाने की तैयारी में हैं. तो क्या यह ऑर्गन ट्रांसप्लांट की दुनिया में एक नया रेवोल्यूशन लाएगा. आइए पूरी कहानी जानते हैं... चीन के फोर्थ मिलिट्री मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने कुछ समय पहले एक ब्रेन डेड इंसान के शरीर में सूअर का लिवर ट्रांसप्लांट किया. अब यह कोई साधारण सूअर नहीं था यह था एक मिनिएचर पिग, जिसे जेनेटिकली मॉडिफाई किया गया था.
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कैसे हुआ यह करिश्मा
इसमें छह ऐसे जीन एडिट किए गए थे, जो इसे इंसान के शरीर के लिए ज्यादा अनुकूल बनाते हैं. ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टरों ने 10 दिन तक इस लिवर को मॉनिटर किया और कमाल की बात यह रही कि शरीर ने इस लिवर को रिजेक्ट नहीं किया. लिवर ने सही तरीके से खून को फिल्टर किया बाइल बनाया और एल्ब्यूमिन प्रोटीन भी प्रोड्यूस किया, लेकिन 10 दिन बाद मरीज के परिवार की रिक्वेस्ट पर इस स्टडी को खत्म कर दिया गया. अब आप सोच रहे होंगे कि पहले भी तो सूअर के अंग इंसानों में लगाए गए हैं, बिल्कुल सही... पहले अमेरिका में सूअर की किडनी और दिल का ट्रांसप्लांट किया गया था, दरअसल, लिवर शरीर में सबसे ज्यादा काम करने वाला ऑर्गन है. यह सिर्फ खून को फिल्टर नहीं करता बल्कि ड्रग्स, शराब, टॉक्सिंस को भी तोड़ता है. बाइल बनाता है और पाचन में मदद करता है.
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क्या कहते हैं डॉक्टर
मतलब, अगर लिवर ठीक से काम ना करे तो पूरा शरीर डिस्टर्ब हो जाता है. यही वजह है कि लिवर ट्रांसप्लांट सबसे मुश्किल सर्जरी मानी जाती है. अब बड़ा सवाल यह है क्या आगे जाकर इंसानों में सूअर के लिवर का इस्तेमाल किया जाएगा. डॉक्टर का कहना है कि इस तकनीक में अभी काफी सुधार की जरूरत है. इस ट्रांसप्लांट में एक समस्या यह थी कि सूअर का लिवर इंसानी लीवर जितना ज्यादा बाइल और एल्बुमिन प्रोड्यूस नहीं कर पाया. इसलिए अब वैज्ञानिक इसे और बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं ताकि जल्द ही इसे किसी जिंदा मरीज पर आजमाया जा सके. अगर यह ट्रायल सफल हुआ तो लाखों लोगों के लिए एक नई उम्मीद बन सकता है तो कुल मिलाकर यह साइंस का एक बड़ा ब्रेकथ्रू है. ऑर्गन डोनेशन की कमी दूर करने का यह एक नया और बेहद दिलचस्प तरीका साबित हो सकता है. हालांकि फाइनल टेस्टिंग अभी बाकी है लेकिन यह तय है कि भविष्य में इस टेक्नोलॉजी से लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी.