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बेहद सस्ती इंटरनेट सेवा के लिए इन शहरों में प्री-बुकिंग शुरू

स्टारलिंक ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि उपलब्धता सीमित है. ऑर्डर पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर पूरे किए जाएंगे. भारत में जिन क्षेत्रों के लिए प्री-बुकिंग उपलब्ध है, उनमें गुजरात से इंडिया कॉलोनी आरडी, बापूनगर और अहमदाबाद शामिल हैं.

Updated on: 04 Mar 2021, 10:01 AM

highlights

  • स्टारलिंक इंटरनेट सेवा के लिए भारत के कुछ क्षेत्रों सहित दुनियाभर के कई स्थानों के लिए प्री-बुकिंग शुरू
  • भारत में कई क्षेत्रों के लिए प्री-बुकिंग 99 डॉलर में की जा सकती है और यह राशि रिफंडेबल होगी

नई दिल्ली :

एलन मस्क (Elon Musk) के स्वामित्व वाली स्पेसएक्स (Space X) की स्टारलिंक इंटरनेट (Starlink Internet) सेवा के लिए भारत के कुछ क्षेत्रों सहित दुनियाभर के कई स्थानों के लिए प्री-बुकिंग शुरू हो गई है. स्टारलिंक ने खुलासा किया है कि यह 2022 तक भारत में कई क्षेत्रों में कवरेज को लक्षित कर रहा है. इन क्षेत्रों के लिए प्री-बुकिंग 99 डॉलर में की जा सकती है और यह राशि रिफंडेबल होगी. स्टारलिंक ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि उपलब्धता सीमित है. ऑर्डर पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर पूरे किए जाएंगे. भारत में जिन क्षेत्रों के लिए प्री-बुकिंग उपलब्ध है, उनमें गुजरात से इंडिया कॉलोनी आरडी, बापूनगर और अहमदाबाद शामिल हैं. इसके अलावा इंडियन कॉफी हाउस रोड, इंदौर, मध्य प्रदेश के लिए भी बुकिंग शुरू हो चुकी है.

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50 से 150 एमबीपीएस के बीच स्पीड का वादा करती है स्पेसएक्स
मस्क ने पिछले महीने कहा था कि उनकी स्टारलिंक उपग्रह-आधारित (सैटेलाइट बेस्ड) इंटरनेट सेवा की इंटरनेट गति, जिसका उद्देश्य दुनियाभर के दूरदराज के क्षेत्रों में लाखों लोगों के लिए सस्ता इंटरनेट उपलब्ध कराना है, इस वर्ष दोगुनी होकर 300 एमबीपीएस हो जाएगी. कंपनी वर्तमान में स्टारलिंक परियोजना के लिए 50 से 150 एमबीपीएस के बीच गति का वादा करती है, जो लगभग 12,000 उपग्रहों के नेटवर्क के माध्यम से उच्च गति इंटरनेट देने की योजना बना रही है। इसने पहले ही अपने 1,000 से अधिक स्टारलिंक उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दिया है.

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पिछले साल नवंबर में सैटेलाइट तकनीक के इस्तेमाल को मंजूरी देने की अपील की थी
स्टारलिंक का कहना है कि यह सेवा विश्व के उन क्षेत्रों के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है, जहां कनेक्टिविटी आमतौर पर एक चुनौती रही है. स्पेसएक्स ने कथित तौर पर भारत सरकार से पिछले साल नवंबर में देश के दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट का उपयोग करने के लिए सैटेलाइट तकनीक के इस्तेमाल को मंजूरी देने की अपील की थी.