Vapor Operation: Google कंपनी ने एक बार फिर से अपने यूजर्स की सेफ्टी के लिए Play Store पर मौजूद 331 खतरनाक ऐप्स को हटा दिया है. कंपनी का कहना है कि इन हटाए गए ऐप्स में से ज्यादातर ऐप्स मलिशियस हैं और ये फिशिंग कैंपेन से जुड़े थे. ये 331 ऐप्स वेपर ऑपरेशन (Vapor Operation) से जुड़े हैं जो चुनिंदा एंड्रॉयड वर्जन्स में सिक्योरिटी फीचर्स को बायपास कर सकते हैं. इन ऐप्स को 6 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है. अगर आपके भी फोन में ये खतरनाक ऐप्स मौजूद है तो आप अभी इनको तुरंत हटा दो.
क्या है Vapor Operation?
आपको बता दें कि Vapor Operation एक साइबर अपराधियों द्वारा चलाया गया धोखाधड़ी अभियान है. इस अभियान की शुरुआत एक ऐड-फ्राड स्कीम के तौर पर हुई थी. इसके बारे में सबसे पहले IAS Threat Lab ने जानकारी दी थी. उसने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ये रोजाना करीब 20 करोड़ फ्रॉड ऐड दिखाते थे. इन ऐप्स को फेक क्लिक्स के जरिए एडवर्टाइजर्स का बजट खर्च करने के लिए बनाया गया था. इन्हें हेल्थ ट्रैकर्स, QR स्कैनर्स, नोट-टेकिंग टूल्स और बैटरी ऑप्टिमाइजर्स के तौर पर डिवेलप किया गया था. इन्होंने Android 13 की सिक्योरिटी को भी बायपास कर लिया था. ये ऐप्स एड फ्रॉड और फिशिंग के जरिए यूज़र्स की निजी जानकारी चुरा रहे थे.
Bitdefender के रिसर्चर्स ने दी जानकारी
इसके बाद अब साइबर सिक्योरिटी कंपनी Bitdefender के रिसर्चर्स ने Google Play Store पर मौजूद 331 खतरनाक ऐप्स का पता लगाया जो Vapor Operation नामक एक बड़े फ़्रॉड अभियान का हिस्सा थे. शुरुआत में इसमें 180 ऐप्स शामिल थे, जो हर दिन 200 मिलियन फर्जी विज्ञापन अनुरोध उत्पन्न कर रहे थे. अब यह संख्या 331 ऐप्स तक पहुंच गई है. इन ऐप्स में AquaTracker, ClickSave Downloader, और Scan Hawk शामिल हैं जिन्हें 1 मिलियन से अधिक डाउनलोड किया गया है. इन सब के साथ इसमें TranslateScan और BeatWatch जैसे ऐप भी शामिल हैं जिन्हें 1 लाख से 5 लाख डाउनलोड मिले हैं.
यहां थे सबसे ज्यादा डाउनलोड
इन ऐप्स के सबसे ज्यादा डाउनलोड ब्राज़ील, अमेरिका, मैक्सिको, तुर्की और दक्षिण कोरिया में थे. साथ ही अब भारत में भी इन ऐप्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा था. ये ऐप्स शुरुआत में सिर्फ विज्ञापन दिखाने वाले ऐप्स की तरह काम करते थे. बाद में, अपडेट्स के जरिए कमांड-एंड-कंट्रोल (C2) सर्वर से खतरनाक कोड भेजा गया. जिसके बाद ये इंस्टॉल होते ही खुद को छिपाने के लिए होम स्क्रीन से अपना आइकन गायब कर लेते थे. साथ ही इसमें कुछ ऐप ऐसे थे जिन्होंने अपने नाम बदलकर Google Voice जैसे भरोसेमंद ऐप्स जैसा दिखने का प्रयास किया. अगर आप एक बार इन ऐप्स को इंस्टॉल कर लिए तो यह बिना किसी यूज़र इंटरेक्शन के एक्टिवेट हो जाते थे.
बैंक डिटेल्स और पासवर्ड चुराते थे ये ऐप्स
ये फुल-स्क्रीन विज्ञापन दिखाकर फोन को हैंग कर देते थे. फेक लॉगिन पेज बनाकर Facebook, YouTube, और पेमेंट गेटवे की जानकारी चुराने की कोशिश करते थे. इसके साथ इनमें आने वाले कुछ ऐप्स आपको झूठे अलर्ट जैसे फोन में वायरस है का नोटिफिकेशन देते थे. इसके बाद आप इससे बचने के लिए अपने फोन में एक और मैलवेयर डाउनलोड कर लेते थे. इसमें कई ऐप्स आपको ऐड लूप में फंसा कर फर्जी वेबसाइट पर रीडायरेक्ट करते थे तो कई ऐप्स यूज़र्स के बैंक डिटेल्स और पासवर्ड चुराते थे.
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