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जॉनी लीवर का ये है असली नाम, कभी सड़कों पर बेचते थे पेन

हिंदी सिनेमा की दुनिया में ऐसे कई कलाकार हैं जो दर्शकों को गुदगुदाते हैं लेकिन जॉनी लीवर (Johnny Lever) की कॉमिक टाइमिंग का हर कोई दीवाना है. जॉनी लीवर आज अपना 64वां जन्मदिन सेलीब्रेट कर रहे हैं. 

Updated on: 14 Aug 2021, 11:24 AM

highlights

  • जॉनी लीवर का बचपन बड़ी मुसीबतों में गुजरा
  • पिता की मदद के लिए सड़कों पर पेन बेंचते थे
  • हिंदुस्तान लीवर कंपनी में काम करते थे जॉनी

नई दिल्ली:

बॉलीवुड के कॉमेडी किंग जॉनी लीवर (Johny Lever) आज भी प्रशासकों के दिलों पर राज करते हैं. जॉनी का कॉमेडी अंदाज फैंस को खूब पसंद आता है. कॉमेडी के मामलों में आज भी कोई ऐसा नहीं है जो जॉनी लीवर की बराबरी कर सके. हिंदी सिनेमा की दुनिया में ऐसे कई कलाकार हैं जो दर्शकों को गुदगुदाते हैं लेकिन जॉनी लीवर (Johny Lever) की कॉमिक टाइमिंग का हर कोई दीवाना है. जॉनी लीवर आज अपना 64वां जन्मदिन सेलीब्रेट कर रहे हैं. 14 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के एक ईसाई परिवार में जन्में जॉनी का पूरा नाम जॉन प्रकाश राव जानुमाला है.

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फिल्मों में आने से पहले जॉनी ने अपने पिता के साथ मुंबई में हिंदुस्तान लीवर कंपनी में काम किया. इस कंपनी में ही में वे अपने अधिकारियों की नकल उतारा करते थे. उनकी कॉमेडी लोगों को काफी पसंद आती थी, धीरे-धीरे वे स्टेज शोज करने लगे. और जब फिल्मों में आए तो उन्होंने कंपनी के नाम पर ही अपना नाम जॉनी लीवर रख लिया. 

कहते हैं कि जॉनी एक बार स्टेज शो कर रहे थे, जिसमें सुपरस्टार सुनील दत्त भी शामिल हुए थे. यहीं पर सुनील की नजर जॉनी पर पहली बार पड़ी. जॉनी की कॉमेडी से सुनील दत्त इतना प्रभावित हुए कि उन्हें फिल्म का ऑफर दे दिया. फिर क्या हुआ जॉनी लीवर को पहली बार फिल्म 'दर्द का रिश्ता' में काम करने का मौका मिला. डेब्यू फिल्म से ही जॉनी के काम को काफी पसंद किया गया. आज जॉनी करीब 350 से ज्यादा फिल्मों में बेहतरीन परफॉर्मेंस की छाप छोड़ चुके हैं, जिनके लिए उन्हें 13 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड में नॉमिनेशन मिल चुका है.

बता दें कि जॉनी के दो भाई और तीन बहनें थीं जिनमें वो सबसे बड़े थे. उनका बचपन गरीबी में गुजरा जिसके चलते उन्हें 7वीं तक ही पढ़ाई नसीब हो सकी. इसके बाद जॉनी ने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए सड़कों में पेन बेचने का काम शुरू किया. पेन बेचते हुए जॉनी बड़े फिल्मी सितारों की नकल उतारा करते थे, जिससे लोग उनकी तरफ खूब आर्कषित होते थे. इस काम में उन्हें हर दिन 5 रुपए मिलते थे, जो उस समय के हिसाब से काफी ज्यादा था.

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कहते हैं कि जॉनी लीवर के बेटे को एक बार कैंसर डायग्नोज हो गया था. जब जॉनी को इस बात का पता चला तो वे एकदम सदमे में चले गए थे. इस परेशानी में वह ऐसे डूब गए थे कि उन्होंने काम से तक दूरी बना ली थी और बस भगवान के चरणों में पहुंच गए थे. लेकिन कुछ दिनों बार चेकअप के बाद वो ही नहीं डाक्टर्स भी सरप्राइज रह गए. जैसे कोई मिरेकिल हो गया था, उनके बेटे की बॉडी से कैंसर गायब हो गया था.