आत्महत्या के कुछ घंटों पहले ऐसे कटी थी गुरुदत्त की रात, दरवाजा तोड़कर निकाली गई थी...

गुरुदत्त का नाम उन महान कलाकारों में आता है, जिन्होंने सिनेमा को नई ऊचाइंयों पर पहुंचाया. गुरु दत्त ने फिल्मी दुनिया में बहुत नाम कमाया, लेकिन उनकी रहस्यमयी मौत ने सबकुछ बदलकर रख दिया. आज हम उनके जीवन की आखिरी रात के बारे में बात करने वाले हैं.

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Pallavi Tripathi
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Gurudatt( Photo Credit : News Nation)

हिंदी फिल्म जगत में एक लेखक, निर्देशक, अभिनेता और फिल्म निर्माता के तौर पर अपना करियर बनाने वाले गुरुदत्त का नाम उन महान कलाकारों में आता है, जिन्होंने सिनेमा को नई ऊचाइंयों पर पहुंचाया. गुरु दत्त ने फिल्मी दुनिया में बहुत नाम कमाया, लेकिन उनकी रहस्यमयी मौत ने सबकुछ बदलकर रख दिया. आज से 55 साल पहले साल 1964 में उनके चाहने वालों के लिए ये विश्वास कर पाना मुश्किल था कि गुरुदत्त अब नहीं रहे. दरअसल, गुरुदत्त ने 39 साल की उम्र में खुद ही अपनी जिंदगी को खत्म कर लिया था यानी आत्महत्या कर ली थी. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि उनकी मौत की एक रात पहले की क्या कहानी थी. इसका ज़िक्र उनके दोस्त और उनकी ज्यादातर फिल्मों के लेखक अबरार अल्वी ने अपनी किताब 'टेन ईयर्स विद गुरु दत्त' में किया था. 

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'अगर मैंने बेटी का मुंह नहीं देखा तो तुम मेरा पार्थिव शरीर देखोगी' : गुरुदत्त

9 अक्तूबर 1964 की शाम यानि गुरु दत्त की मौत के ठीक एक दिन पहले फिल्म 'बहारे फिर भी आएंगी' की नायिका के मरने की कहानी लिखने का काम चल रहा था. अबरार ने बताया कि जब वो शाम को सात बजे के आसपास वहां पहुंचे तो माहौल बिल्कुल अलग था. गुरु दत्त शराब में डूबे हुए थे. उनके चेहरे पर तनाव और अवसाद साफ झलक रहे थे. उन्होंने गुरु के सहायक रतन से पूछा कि बात क्या है? अबरार ने बताया था कि उन दिनों गुरु दत्त और उनकी पत्नी के बीच काफी समय से अनबन चल रही थी. गुरु दत्त  अपनी निजी जिंदगी को लेकर परेशान थे. जब भी दोनों की फोन पर बात होती तो उसमें झगड़ा ही होता. हर फोन के बाद गुरु दत्त के चेहरे पर तनाव और गुस्सा दोनों बढ़ जाता था. गीता ने गुरु दत्त को बेटी से मिलने पर रोक लगा दी थी. एक फोन कॉल पर गुरु दत्त ने गीता से कहा था, 'अगर मैंने बेटी का मुंह नहीं देखा तो तुम मेरा पार्थिव शरीर देखोगी'.

लेखन खत्म होने के बाद गुरुदत्त लेते थे विवरण, लेकिन उस दिन...

अपनी किताब में अबरार ने बताया, 'गुरु दत्त कितना भी नशा कर लें नियंत्रण नहीं खोते थे. उन्होंने एक और पेग पीने की ख्वाहिश जताई और खाना नहीं खाया. रात एक बजे ये सब बात हो गई. मैंने उनसे बात करनी चाही लेकिन उन्होंने कहा कि वो सोना चाहते हैं. मैंने उनसे पूछा- पर मेरा लेखन, सीन नहीं देखेंगे, अक्सर लेखन खत्म होने के बाद गुरु दत्त मुझसे उसका विवरण लेते थे, लेकिन उस दिन उन्होंने मना कर दिया और अपने कमरे में चले गए'.

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बोतल उठाई और कमरे में चले गए गुरु दत्त

अबरार बताते हैं कि रतन से उन्हें गुरु दत्त का दुखद समाचार मिला था. रात के तीन बजे गुरु दत्त ने रतन से पूछा- अबरार कहां हैं? रतन ने बताया- मुझे लेखन सौंप के चले गए? बुलाऊं क्या, गुरुदत्त ने कहा- रहने दो मुझे व्हिस्की दो दो, रतन ने कहा- व्हिस्की नहीं है लेकिन गुरु दत्त माने नहीं, बोतल उठाई और कमरे में चले गए'।

असामान्य होने का हुआ था आभास

अभिनेत्री नरगिस दत्त ने बताया था कि सुबह साढ़े आठ बजे जब उनके डॉक्टर गुरुदत्त के घर पहुंचे तो उन्हें सोता समझ कर लौट गए थे. इस दौरान गीता दत्त उन्हें लगातार फोन करती रही. गीता को कुछ असामान्य होने का आभास हो रहा था तो उन्होंने 11 बजे रतन से कहा कि वो दरवाजा तोड़ दें. दरवाज़ा टूटने पर रतन ने देखा कि गुरु दत्त बिस्तर पर लेटे हुए हैं.

अबरार बताते हैं कि जब वो आर्क रॉयल यानी गुरुदत्त के घर पहुंचे तो उन्होंने गुरु दत्त को शांति से सोते पाया और बिस्तर के बगल में एक छोटी सी शीशी में गुलाबी रंग का तरल पदार्थ था. उनके मुंह से निकल गया, आह, मृत्यु नहीं आत्महत्या, उन्होंने अपने आप को मार डाला. गुरु दत्त का यूं चले जाना हर किसी के लिए एक सदमे जैसा था. 

अगर बात करें गुरुदत्त की फिल्मों की तो उन्होंने 'कागज के फूल', 'प्यासा', 'मिस्टर एंड मिसेज 55', 'बाज', 'जाल', 'साहिब बीबी और गुलाम' जैसी कई शानदार फिल्में दी थी. 

Source : News Nation Bureau

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