बुधवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश के सात जिलों की 40 सीटों पर होने वाले मतदान के साथ ही सभी की नजरें 11 मार्च को आने वाले नतीजों पर टिक जाएंगी।
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए 7 चरणों में होने वाले मतदान के तहत 8 मार्च को आखिरी चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। इसके साथ ही पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर, के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे।
2012 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण में करीब 58 फीसदी मतदान हुआ था। सातवें और आखिरी चरण में प्रदेश के सात जिलों भदोही, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र और वाराणसी की 40 सीटों पर मतदान होगा, जो 535 उम्मीदवारों की किस्मत तय करेगा।
दलों ने लगाया आखिरी जोर
आखिरी चरण के पहले भारतीय जनता पार्टी, सपा-कांग्रेस और बसपा (बहुजन समाज पार्टी) ने पूर्वांचल की सभी सीटों के लिए पूरी ताकत झोंक दी। इसी वजह से आखिरी चरण के पहले पूर्वांचल की राजधानी माने जाने वाला वाराणसी सियासी रैलियों और शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा बन गया।
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बीजेपी ने वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी का लगातार दो दिनों का रोड शो रखा। दूसरे रोड शो के दौरान मोदी रात में वाराणसी में ही रुके। वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है, जहां की 8 विधानसभा सीटें बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गई है।
तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी-कांग्रेस गठबंधन के अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने पूर्वांचल में किए गए विकास कार्यों को गिनाते हुए बीजेपी को कड़ी टक्कर दी।
बीजेपी पूर्वांचल के समीकरण को अपने मुताबिक मान कर चल रही है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में मिल सीटों के आधार पर यहां समाजवादी मजबूत स्थिति में दिखाई देते हैं।
हालांकि पिछले आम चुनाव में मिला मत प्रतिशत बीजेपी को ताकत दे रहा है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी आखिरी चरण के पहले वाराणसी में बड़ी रैली की। पिछले विधानसभा चुनाव साल 2012 में इन 40 सीटों में से 23 सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गई थीं। जबकि बहुजन समाज पार्टी को पांच, भारतीय जनता पार्टी को चार, कांग्रेस को तीन और अन्य को पांच सीटें मिली थीं।
सातवें चरण में सबसे कम सीटों पर चुनाव होना है, लेकिन उत्तर प्रदेश की कुर्सी के लिए अहम पूर्वांचल की राजनीति को इस लिहाज से अहम माना जा सकता है कि इस चरण में सबसे अधिक आक्रामक प्रचार किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन दिन तक वाराणसी में प्रचार किया। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और सांसद डिंपल यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं।
क्या कहते हैं आंकड़ें?
मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी वेंकटेश के मुताबिक सातवें चरण में 1.41 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इनमें 64.76 लाख महिला मतदाता शामिल हैं।
सातवें चरण के लिए कुल 14,458 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। अंतिम चरण में तीन नक्सल प्रभावित जिले भी शामिल हैं जिसमें सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में सुरक्षाबलों को चैकस रहने को कहा गया है।
इस चरण में वाराणसी जिले में सबसे ज्यादा 127 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। सबसे अधिक 24 उम्मीदवार वाराणसी कैंट सीट से मैदान में हैं जबकि सबसे कम छह प्रत्याशी केराकत सीट से हैं।
नक्सल प्रभावित उत्तर प्रदेश विधानसभा के सातवें चरण में तीन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान का समय सुबह सात से लेकर शाम चार बजे तक होगा। एडीजी दलजीत सिंह ने बताया कि नक्सल प्रभावित इन तीन विधानसभा क्षेत्रों के लिए दोगुनी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की दशा में तत्काल उससे निपटा जा सके।
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HIGHLIGHTS
- बुधवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश के सात जिलों की 40 सीटों पर होगा मतदान, 535 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर
- 2012 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण में करीब 58 फीसदी मतदान हुआ था
Source : News State Buraeu