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यूपी में अपने ही मोहरों से मात खा रही कांग्रेस, लड़ रही हारी हुई लड़ाई

बीते एक महीने में ही कांग्रेस के लगभग दर्जन भर बड़े चेहरों ने हाथ से किनारा किया है. करेला वह भी नीम चढ़ा वाली स्थिति यह है कि अब तक लगभग चार ऐसे लोग पार्टी से किनारा कर चुके हैं, जिन्हें कांग्रेस ने विधानसभा में टिकट दिया.

बीते एक महीने में ही कांग्रेस के लगभग दर्जन भर बड़े चेहरों ने हाथ से किनारा किया है. करेला वह भी नीम चढ़ा वाली स्थिति यह है कि अब तक लगभग चार ऐसे लोग पार्टी से किनारा कर चुके हैं, जिन्हें कांग्रेस ने विधानसभा में टिकट दिया.

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Nihar Saxena
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Farah Naeem

अब शेखूपुर से कांग्रेस प्रत्याशी फरहा नईम ने छोड़ा हाथ का साथ.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

बंदायू की शेखूपुर सीट से कांग्रेस (Congress) की प्रत्याशी फरहा नईम वह ताजा नाम हैं, जिन्होंने इस्तीफा देकर हाथ का साथ छोड़ दिया. उनसे चंद घंटे पहले फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के ही पूर्व सांसद राजीव सचान ने हाथ को झटक भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कमल का फूल अपने हाथ में ले लिया था. अगर और बड़े नाम की बात करें तो आरपीएन सिंह ने बीजेपी का दामन थाम देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2022) से पहले बड़ा झटका दिया. इस लिहाज से अगर देखें तो बीते एक महीने में ही कांग्रेस के लगभग दर्जन भर बड़े चेहरों ने हाथ से किनारा किया है. करेला वह भी नीम चढ़ा वाली स्थिति यह है कि अब तक लगभग चार ऐसे लोग पार्टी से किनारा कर चुके हैं, जिन्हें कांग्रेस ने विधानसभा में टिकट दिया. इसे देख लगता है कि महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की अगुवाई में कांग्रेस यूपी में एक हारी हुई लड़ाई लड़ रही है.

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फरहा कांग्रेस चोड़ने वाली चौथी घोषित प्रत्याशी
फरहा नईम ने तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को उनके लड़की हूं लड़ सकती हूं मुहिम को बड़ा झटका दिया है. नईम ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष ओमकार सिंह पर अभद्र टिप्पणी का आरोप लगाते हुए न सिर्फ टिकट वापस कर दिया, बल्कि इस्तीफा भी दे दिया. इस तरह देखा जाए तो फरहा नईम कांग्रेस की चौथी ऐसी प्रत्याशी हैं, जिन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट मिलने के बाद पार्टी छोड़ दी. नईम से पहले रामपुर की चमरौआ विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक युसूफ अली ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद रामपुर जिले की ही स्वार-टांडा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां ने पार्टी छोड़ दी. इनके अलावा बरेली कैंट सीट से घोषित कांग्रेस उम्मीदवार सुप्रिया ऐरन ने भी पार्टी छोड़ दी है. यानी कांग्रेस जिन चेहरों पर दांव लगा रही है, वही चुनावी समर में कांग्रेस को अकेला चोड़ कर बीजेपी या किसी अन्य पार्टी का दामन थामने में हिचक नहीं रहे हैं.

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जनवरी में अब तक दर्जन भर बड़े चेहरों ने किया कांग्रेस से किनारा
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में मची भगदड़ जैसी स्थिति तब है जब चुनाव की घोषणा से कई महीने पहले ही प्रियंका गांधी आक्रामक अंदाज में योगी सरकार को घेरने में लग गई थीं. हाथरस और लखीमपुर खीरी मुद्दे पर जिस तरह प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को घेरा उससे लगा था कि चुनाव में कांग्रेस पहले की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन करेगी. यह अलग बात है कि नए साल की शुरुआत से ही यूपी में उसके लिए सिर मुड़ाते ओले पड़ने वाली स्थिति हो गई. जनवरी में अब तक लगभग दर्जन भर बड़े चेहरे कांग्रेस का हाथ छोड़ चुके है. इनमें से एक बड़ा नाम पडरौना के आरपीएन सिंह का भी है, जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. गौर करने वाली बात यह कि आरपीएन सिंह कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल थे और राहुल गांधी की कोर टीम के सदस्य माने जाते थे.

कांग्रेस के सात में पांच विधायकों ने थामा दूसरी पार्टी का हाथ
अगर बीते विधानसभा चुनाव परिणामों की बात करें तो कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी. यह अलग बात है कि फिलहाल अराधना मिश्रा मोना और अजय कुमार लल्लू ही बचे हैं बाकि 5 अन्य विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है. इस साल की शुरुआत से अब तक जिन दर्जन भर बड़े चेहरों ने कांग्रेस छोड़ी है, उनमें से कुछ के पास अहम जिम्मेदारी थी. मसलन आरपीएन सिंह झारखंड के प्रभारी महासचिव थे. इमरान मसूद यूपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव थे. पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में सुप्रिया एरोन और हैदर अली खान भी बड़े नाम हैं. बरेली की पूर्व मेयर सुप्रिया एरोन सपा में शामिल हो गईं. सुप्रिया के साथ उनके पति प्रवीन सिंह एरोन भी सपा में चले गए हैं. रामपुर के युवा नेता हैदर अली खान अब अपना दल में शामिल हो गए हैं. 

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रायबरेली से अदिति सिंह ने दिया करारा झटका
हैदर अली के पिता और पूर्व विधायक रामपुर सीट से ही आजम खान के मुकाबले चुनाव लड़ रहे हैं. यही नहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी के पोते ललितेश पति त्रिपाठी भी पार्टी छोड़ चुके हैं. वह टीएमसी का हिस्सा बने हैं. वहीं कांग्रेस की रायबरेली सीट से विधायक अदिति सिंह अब भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं.  इसके अलावा सहारनपुर के ही नरेश सैनी भाजपा के साथ हो लिए हैं. मसूद अख्तर सपा में चले गए और रायबरेली की ही एक सीट से विधायक राकेश सिंह अब भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं.

अपने ही मोहरों से पिट रही कांग्रेस
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता का वनवास झेलते हुए तीन दशक हो चुके हैं. इस वनवास को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की साइकिल की भी सवारी की, लेकिन बात नहीं बन सकी. ऐसे में 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रियंका गांधी ने स्वीकार भी किया था कि कमजोर संगठन एक बड़ी वजह है. इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने समय-समय पर आक्रामक तेवर अपना उम्मीदें भी जगाई, लेकिन अब आलम यह है कि कांग्रेस के नेताओं को ही नहीं लग रहा है कि पार्टी चुनाव जीत सकेगी. ऐसे में बीच लड़ाई मैदान छोड़ने वालों की संख्या पर लगाम कसती नहीं दिख रही. जाहिर है इस लिहाज से देखें तो कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक हारी हुई लड़ाई लड़ रही है. तुर्रा यह कि कांग्रेस को इस हार के लिए उसके मोहरे ही जिम्मेदार हैं.

HIGHLIGHTS

  • विस चुनाव के लिए चार घोषित प्रत्याशियों ने किया कांग्रेस से किनारा
  • जनवरी में ही अब तक दर्जन भर बड़े चेहरों ने छोड़ा हाथ का साथ
  • ऐसे कैसे पार करेगी प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस चुनावी समर
Party Cadre उप-चुनाव-2022 congress हारी लड़ाई Defection कांग्रेस दलबदल प्रियंका गांधी priyanka-gandhi Uttar Pradesh Assembly Elections 2022 Lost Battle assembly-elections-2022
      
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