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मणिपुर में बीजेपी के 'सेफ गेम' को भी मिलेंगी कई चुनौतियां

60 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से असंतुष्ट नेताओं का भगवा खेमे से पलायन हो सकता है, लेकिन इसमें कमी लाने की कोशिश जारी रखी जाएगी.

Updated on: 31 Jan 2022, 10:08 AM

highlights

  • 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 40 विधायक
  • नगा और कूकी आबादी के समर्थन का मिलेगा लाभ
  • फिर भी कई सीटों पर झेलनी होगा कांटे की टक्कर

इंफाल:

भाजपा ने मणिपुर में चुनाव के लिए 60 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करते हुए कड़ा कदम उठाया है. मतभेद व अलगाव से बचने के लिए अधिकांश मौजूदा विधायकों को बरकरार रखा है. हालांकि चुनाव हमेशा कठिन खेल होते हैं, जिनमें बहुत सारे 'अगर और लेकिन' तत्व होते हैं. ऐसे में नामों की घोषणा से असंतुष्ट नेताओं का भगवा खेमे से पलायन हो सकता है, लेकिन इसमें कमी लाने की कोशिश जारी रखी जाएगी. घोषित सूची में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को उनके पारंपरिक हिंगांग निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है.

तीन महिला उम्मीदवार
इस सूची में तीन महिला उम्मीदवार शामिल हैं कांगपोकपी से नेमचा किपगेन, नौरिया पखांगलक्पा निर्वाचन क्षेत्र से सोरैसम केबी देवी और (एसटी) के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र चंदेल से एस.एस. ओलिश. नेमचा किपजेन के पास एक उज्‍जवल संभावना है, क्योंकि वह मौजूदा भाजपा विधायक हैं. साल 2012 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर सीट जीती थी. साल 2017 में एनपीपी उम्मीदवार लेतपाओ हाओकिप ने चंदेल सीट जीती थी. चुनाव के बाद यह पार्टी भाजपा की सहयोगी बन गई. दो निर्वाचन क्षेत्रों नौरिया पखंगलक्पा और चंदेल (एसटी) में भगवा पार्टी को लाभ मिलता नहीं दिख रहा है. इन सीटों पर मुकाबले कई मायनों में प्रतीकात्मक हो सकते हैं. लेकिन भाजपा उम्मीदवार ओलीश ने 2017 में 23 फीसदी वोट शेयर हासिल किए थे और 9,842 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे.

कई निर्वाचन क्षेत्रों में मिलेगी कांटे की टक्कर
क्या भगवा पार्टी पिछले पांच वर्षो में मणिपुर के लोगों के बीच अधिक पैठ बनाने में सक्षम रही, इसकी पड़ताल अभी बाकी है. करीब से किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा को घाटी के आठ-दस निर्वाचन क्षेत्रों में कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है. इस समय 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 40 विधायक हैं. भाजपा की सूची से पता चलता है कि नगा गढ़ क्षेत्रों सहित पहाड़ियों में वह नगा शांति वार्ता के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर निर्भर है और इसलिए एनपीएफ को लाभ मिल सकता है. भाजपा के ज्यादातर उम्मीदवार नए हैं. चुराचांदपुर और आसपास के क्षेत्र में कुकी आबादी के समर्थन का लाभ भाजपा उम्मीदवारों को मिलेगा.

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इबोबी सिंह को भाजपा ने घेरा
भगवा पार्टी ने वांगखेई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के दिग्गज नेता इबोबी सिंह के भतीजे ओकराम हेनरी सिंह को मैदान में उतारा है. साल 2017 में ओकराम हेनरी सिंह को विजेता घोषित किया गया था, लेकिन 15 अप्रैल 2021 को उच्च न्यायालय ने चुनाव परिणाम को शून्य और शून्य घोषित कर दिया. इसने यह भी घोषणा की कि युमखम एराबोट सिंह वांगखेई निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य होंगे. थौबल विधानसभा सीट पर ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ भाजपा के उम्मीदवार एल. बसंत सिंह होंगे.

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एक पूर्व आईएएस भी बीजेपी के टिकट पर मैदान में
भगवा पार्टी ने उरीपोक विधानसभा क्षेत्र से एक पूर्व आईएएस अधिकारी रघुमणि सिंह को भी मैदान में उतारने का फैसला किया है. उनका मुकाबला नेशनल पीपुल्स पार्टी के वाई. जॉयकुमार सिंह से होगा. सिंह उपमुख्यमंत्री हैं और इस तरह भाजपा उम्मीदवार के लिए मुश्किल हो सकती है. भगवा पार्टी के पास चुराचंदपुर (एसटी) और सिंघत सीटों जैसी कुछ सीटें जीतने की अच्छी संभावनाएं हैं, लेकिन चंदेल और तेंगनौपाल में उसे कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा. यास्कुल विधानसभा क्षेत्र में भी राह आसान नहीं होगी, जहां मौजूदा विधायक थोकचोम सत्यब्रत सिंह को फिर से मैदान में उतारा गया है. पूर्व पुलिस अधिकारी थौनाओजम बृंदा के इस निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार या निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने की संभावना से भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी. वह मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की मुखर आलोचक रही हैं.