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दिल्ली विश्वविद्यालय में शुरू हुआ एग्जीक्यूटिव काउंसिल का चुनाव प्रचार

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (एसी) व विद्वत परिषद (ईसी) का चुनाव प्रचार शुरू किया.

Updated on: 10 Jan 2021, 08:07 AM

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शिक्षक संगठन, दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (एसी) व विद्वत परिषद (ईसी) का चुनाव प्रचार शुरू किया. इस दौरान टीचर्स एसोसिएशन से जुड़े प्रोफेसर्स शिक्षकों के घर गए. उन्होंने एडहॉक शिक्षकों के समायोजन एवं स्थायीकरण की मांग का समर्थन किया है. टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक इस पर केंद्र सरकार से तुरंत अध्यादेश लाने की मांग की जाएगी. डीटीए ने शनिवार को अपना चुनाव प्रचार दिल्ली विश्वविद्यालय के समीप विजय नगर, मुखर्जी नगर, हडसन लाइन, परमानंद कॉलोनी, निरंकारी कॉलोनी आदि जगहों पर रहने वाले शिक्षकों के बीच किया. चुनाव प्रचार में डीटीए प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन, ईसी उम्मीदवार डॉ. नरेंद्र कुमार पांडेय व उनके समर्थक शिक्षक शामिल रहे.

डीटीए के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि उन्होंने शनिवार को एडहॉक शिक्षकों के समायोजन एवं स्थायीकरण के मुद्दे का समर्थन किया है. इसके अलावा एडहॉक शिक्षकों को भी स्थायी शिक्षकों की तरह चिकित्सा सुविधाओं का लाभ, एडहॉक महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश, एडहॉक टीचर्स की स्थायी नियुक्ति के समय पूरी सर्विस काउंट करने का समर्थन किया है. डीटीए के मुताबिक कॉलेजों में शिक्षकों के लिए आवासीय फ्लैट्स बनाने, बिना पीएचडी के एसोसिएट प्रोफेसर बनाया जाए व प्रिंसिपल व प्रोफेसर पदों पर आरक्षण देते हुए जल्द भरवाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाया जाएगा.

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उनका कहना है कि केंद्र सरकार जब भी समायोजन पर कोई नीति लेकर आए तो उसमें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का भी ध्यान रखा जाए, क्योंकि लंबे समय से एससी, एसटी, ओबीसी व विक्लांग शिक्षकों के पदों को केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के तहत नहीं भरा गया है. डीटीए ने कहा कि जब भी दिल्ली विश्वविद्यालय एडहॉक शिक्षकों का समायोजन करेगा तो केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का सही ढंग से पालन कराया जाएगा. स्थायी करण पर सरकार या विश्वविद्यालय की जो नीति बनेगी उसमें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का ध्यान रखा जाएगा.

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शिक्षक संगठन का मानना है कि एडहॉक शिक्षकों के समायोजन और स्थायीकरण का मुद्दा तमाम शिक्षक संगठन चुनाव के समय उठाते रहे हैं, लेकिन चुनाव के बाद सरकार व दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन पर कोई दबाव नहीं बनाया गया. उनका कहना है कि ईसी में उनका उम्मीदवार जीतता है तो इस पर विश्वविद्यालय द्वारा अध्यादेश या सकरुलर जारी कराएंगे.