भारत में पनपेगा एजुकेशन टेक्नॉलजी - 'एडटेक' स्टार्टअप : विशेषज्ञ
इंडियन प्राइवेट इक्विटी एंड वेंचर कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) की एक नई संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, 'एडटेक' स्पेस को कुल 2.2 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ.
नई दिल्ली:
भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जहां युवाओं की जनसंख्या कई अन्य देशों के मुकाबले काफी अधिक है. अच्छी गुणवत्ता वाले शैक्षणिक संस्थानों और शिक्षकों की सीमित उपलब्धता के मद्देनजर इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि शिक्षा प्रौद्योगिकी (एजुकेशन टेक्नॉलजी) या 'एडटेक' भारत में पनपेगी. जैसे-जैसे तकनीक समुन्नत होती जाएगी और लाखों छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षक बेहतर उपकरणों का उपयोग करना सीखेंगे, वैसे-वैसे एजुकेशन टेक्नॉलजी और बेहतर होती जाएगी. इसे हम उदाहरण के रूप में इस प्रकार समझ सकते हैं कि कोरोना काल के दौरान बच्चों के चरित्र-आधारित प्रारंभिक लर्निग ऐप 'लिटिल सिंघम' लांच किया गया और केवल छह महीनों में 4.70 की औसत रेटिंग के साथ 10 लाख से अधिक लोगों ने इसे डाउनलोड किया.
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इंडियन प्राइवेट इक्विटी एंड वेंचर कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) की एक नई संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, 'एडटेक' स्पेस को कुल 2.2 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ. प्रैक्सिस ग्लोबल एलायंस (पीजीए), इंडिया के मार्केट इंटेलिजेंस बिजनेस - पीजीए लैब्स ने वैश्विक उद्योग में दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा हासिल करने का दावा किया. इसका बाजार मूल्य वर्ष 2019 में 409 मिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 के पहले नौ महीनों में 1.5 अरब डॉलर हो गया.
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टेकएआरसी के संस्थापक व मुख्य विश्लेषक फैसल कावूसा का कहना है कि शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जहां 'एक समाधान, एक दृष्टिकोण' सभी के लिए कारगर नहीं होगा. इसलिए, अब एडटेक स्टार्टअप विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं ताकि एजुकेशन टेक्नॉलजी में विविधता लाते हुए छात्रों को हर तरह की मदद उपलब्ध कराई जा सके और उनके लिए एक मंच तैयार हो सके.
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कतिपय रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में एडटेक स्टार्टअप का बिजनेस 2019 में 4.7 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर पिछले साल 10.76 अरब डॉलर हो गया. भारत महामारी के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की उम्मीद करता है, शिक्षा क्षेत्र का भविष्य भी नई संभावनाओं को जन्म दे रहा है क्योंकि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से इसमें मूलभूत परिवर्तन होने की उम्मीद है.
साथ ही इस बात की भी उम्मीद की जा रही है कि भारत में जल्द ही 5जी सेवाएं शुरू हो जाएंगी और ऐसा होने पर शिक्षा के क्षेत्र में निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे. प्रौद्योगिकी की मदद से प्राथमिक और पूर्व-प्राथमिक विद्यालयों में लगभग सात लाख शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सकेगा.
5जी टेलीकॉम नेटवर्क 4जी की तुलना में लगभग 1,000 प्रतिशत फास्ट है. यह शिक्षकों को कक्षा के अंदर और बाहर की संभावनाओं पर पुनर्विचार करने के लिए सशक्त करेगा. शिक्षक उच्च-गुणवत्ता वाले डॉक्यूमेंट्रीज को चंद सेकंड में डाउनलोड करने में सक्षम होंगे. छात्रों को विलंब किए बगैर रियल टाइम एजुकेशन देना सक्षम होंगा और शिक्षण में संवर्धित वास्तविकता (ऑगमेंटेड रियलिटी) और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) जैसी नई अवधारणाओं के साथ प्रयोग कर सकेंगे.
शिक्षा में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका पर टिप्पणी करते हुए क्लीप वीआर इमर्सिव टेक्नोलॉजीज के संस्थापक ऋषि आहूजा ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत में शिक्षा की नवीन परिकल्पना को दर्शाती है. जैसे हम अपने जीवन के अधिक से अधिक पहलुओं को प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ते हैं, वैसे ही शिक्षा को भी आधुनिक तकनीक से और संवर्धित करने की जरूरत है. 5जी हमारे छात्रों को शिक्षा की दृष्टि से भी एक बेहतर अनुभव प्रदान कर सकता है.
पैसिफिक वल्र्ड स्कूल की प्रो-वाइस चेयरपर्सन निधि बंसल ने भी कक्षाओं में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका को दोहराया. हमारी शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी इतनी महत्वपूर्ण कभी नहीं रही है. आज शिक्षा संबंधी हमारे निर्णय प्रौद्योगिकी के उपयोग की वकालत कर रहे हैं. 21वीं सदी के छात्रों को शिक्षा देने के तरीके को बदलने के लिए एआर एंड वीआर जैसे कई अवसर उपलब्ध हैं.
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