logo-image

केरल जुड़वां हत्याकांड : अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है मुख्य आरोपी

भाजपा और एसडीपीआई के दो राज्य स्तरीय पदाधिकारियों रंजीत श्रीनिवास और के. एस. शान की शनिवार और रविवार को अलाप्पुझा में 12 घंटे की अवधि के भीतर हत्या कर दी गई, जिससे राज्य में सनसनी फैल गई.

Updated on: 24 Dec 2021, 07:21 AM

highlights

  • आरोपी को पकड़ने के लिए विशेष टीमों को पड़ोसी राज्यों में भेजा गया है
  • पुलिस ने कहा-हत्या में सीधे भाग लेने वाले लोग अभी भी फरार हैं
  • एसआईटी ने हत्या में भाग ले चुके लोगों की सभी लोगों की पहचान की है 

 


 

तिरुवनंतपुरम:

केरल की दोहरी राजनीतिक हत्याओं की जांच के बीच अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय साखरे ने गुरुवार को कहा कि अलाप्पुझा में भाजपा नेता की हत्या का मुख्य आरोपी राज्य से फरार हो गया है. इन्हें पकड़ने के लिए विशेष टीमों को पड़ोसी राज्यों में भेजा गया है. शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की राजनीतिक शाखा के पांच गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को साजिश और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और हत्या में सीधे भाग लेने वाले लोग अभी भी फरार हैं.

यह भी पढ़ें : 12 घंटे के अंदर दो राजनीतिक हत्याओं से हिला केरल, अलाप्पुझा में 144 लागू

भाजपा और एसडीपीआई के दो राज्य स्तरीय पदाधिकारियों रंजीत श्रीनिवास और के. एस. शान की शनिवार और रविवार को अलाप्पुझा में 12 घंटे की अवधि के भीतर हत्या कर दी गई, जिससे राज्य में सनसनी फैल गई. पुलिस ने बाद में स्वीकार किया कि दोनों बदले की भावना से हत्या की गई थी. पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमारे पास निश्चित जानकारी है कि हत्या में सीधे तौर पर शामिल होने वाले कुछ आरोपी राज्य छोड़कर भाग गए हैं. दोनों हत्याएं सुनियोजित थीं. चूंकि जांच जारी है, इसलिए हम कोई और जानकारी नहीं दे सकते.

उन्होंने कहा कि पीएफआई का आरोप है कि हिरासत में लिए गए कुछ लोगों को “जय श्री राम” के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया. “यह एक निराधार आरोप है.
अधिकारी दोनों हत्याओं की जांच कर रहे विशेष जांच दल की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एसआईटी ने उन सभी लोगों की पहचान की है जिन्होंने दोनों हत्याओं में सीधे तौर पर भाग लिया था. एसडीपीआई नेता की हत्या में पुलिस ने अब तक आरएसएस के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. पीएफआई ने आरोप लगाया है कि चल रही जांच पक्षपातपूर्ण थी और इसका उद्देश्य संघ परिवार को संतुष्ट करना था.