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अगर आप GST रिटर्न फाइल करने जा रहे हैं तो यह खबर एक बार जरूर पढ़ लीजिए

वर्ष 2018-19 के लिए प्रपत्र जीएसटीआर-9 में दो वर्षों (2017-18 और 2018-19) को अलग-अलग दिखाने की कोई व्यवस्था नहीं है. बयान में कहा गया है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि करदाताओं को सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 से संबंधित मूल्य के बारे में ही सूचना देनी है.

Updated on: 10 Oct 2020, 08:03 AM

नई दिल्ली:

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि करदाताओं को 2018-19 के सालाना जीएसटी रिटर्न (GST Annual Return) में केवल उस वित्त वर्ष से संबंधित लेन-देन की ही जानकारी देने की आवश्यकता है. मंत्रालय के एक बयान के अनुसार उसे यह जानकारी दी गयी कि वर्ष 2018-19 के लिए स्वतः भरे हुए जीएसटीआर- 9 में वित्त वर्ष 2017-18 का आंकड़ा भी शामिल है. हालांकि, करदाताओं ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए यह जानकारी पहले ही वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भरे गए वार्षिक रिटर्न (जीएसटीआर 9) में उपलब्ध करा दी है.

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करदाताओं को सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 से संबंधित देनी है सूचना
वर्ष 2018-19 के लिए प्रपत्र जीएसटीआर-9 में दो वर्षों (2017-18 और 2018-19) को अलग-अलग दिखाने की कोई व्यवस्था नहीं है. बयान में कहा गया है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि करदाताओं को सिर्फ वित्त वर्ष 2018-19 से संबंधित मूल्य के बारे में ही सूचना देनी है. वित्त वर्ष 2017-18 से संबंधित मूल्य के बारे में पहले ही सूचना दे दी गयी है, ऐसे में उसके बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं है. बयान के अनुसार ऐसे मामलों में कोई प्रतिकूल दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाएगा, जहां करदाताओं के वित्त वर्ष 2018-19 के वार्षिक रिटर्न में वित्त वर्ष 2017-18 से संबंधित आपूर्तियों और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के विवरण को शामिल करते हुए उसे फाइल कर चुके हैं और उसमें विसंगतियां पायी गयी हों.

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जीएसटीआर-9 सालाना रिटर्न हैं, जिसे माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत करदाताओं को भरना होता है. इसमें विभिन्न कर मदों में आपूर्तियों के संदर्भ में ब्योरा होता है. जीएसटीआर- 9सी जीएसटीआर-9 और ऑडिट हुये सालाना वित्तीय ब्योरा का मिलान होता है. सालाना रिटर्न सिर्फ ऐसे करदाताओं के लिए भरना अनिवार्य है, जिनका वार्षिक कारोबार 2 करोड़ रुपये से अधिक है. वहीं मिलान विवरण सिर्फ 5 करोड़ रुपये से ज्यादा सकल कारोबार वाली पंजीकृत इकाइयों को देना होता है.