प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund) के पैसे को लेकर हो सकता है बड़ा फैसला, आज है EPFO की अहम बैठक

आज यानि बुधवार को EPFO की होने वाली बैठक में प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund) पर वर्ष 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज दिए जाने के निर्णय की पुष्टि में विलम्ब का मामला उठाया जा सकता है.

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Dhirendra Kumar
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EPFO EMPLOYEE

EPFO EMPLOYEE ( Photo Credit : फाइल फोटो)

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO): ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation) ने मार्च में कर्मचारियों को प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund) के ऊपर मिलने वाले ब्याज दर को घटाने का ऐलान किया था. EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने 5 मार्च की बैठक में पीएफ पर मिलने वाले ब्याज में 0.15 फीसदी की कटौती करने का ऐलान किया था. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पीएफ (PF) पर ब्याज दर घटाकर 8.5 फीसदी करने का फैसला लिया गया था. आज यानि बुधवार को ईपीएफओ की होने वाली बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर वर्ष 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज दिए जाने के निर्णय की पुष्टि में विलम्ब का मामला उठाया जा सकता है.

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ईपीएफ की प्रस्तावित दर सात साल की न्यूनतम दर होगी

न्यासी मंडल के अध्यक्ष श्रम मंत्री संतोष गंगवार है. ईपीएफ की यह प्रस्तावित दर सात साल की न्यूनतम दर होगी. केंद्रीय न्यासी बोर्ड के इस निर्णय को वित्त मंत्रालय की सहमति के लिए भेज दिया गया था पर अभी तक वित्त मंत्रालय से उसका अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है. वित्त मंत्रालय की सहमति से ही ईपीएफ पर वार्षिक ब्याज दर में संशोधन का फैसला लागू होता है. न्यास के एक सदस्य ने अपना नाम जाहिए न किए जाने की शर्त पर कहा कि हम ब्याज दर के अनुमोदन में विलम्ब का मुद्दा इस बैठक में उठाएंगे. केंद्रीय न्यासी मंडल इस बारे में निर्णय मार्च में ही कर चुका है. यह मुद्दा नौ सितंबर की बैठक की कार्यसूची में नहीं है पर हम इसे उठा सकते हैं. इससे पहले वर्ष 2018-19 के लिए ईपीएफ खाताधारकों को अपने जमा धन पर 8.65 प्रतिशत की दर से ब्याज मिला था.

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वित्त वर्ष - ब्याज दर

  • 2019-20 - 8.50 फीसदी
  • 2018-19 - 8.65 फीसदी
  • 2017-18 - 8.55 फीसदी
  • 2016-17 - 8.65 फीसदी
  • 2015-16 - 8.8 फीसदी
  • 2014-15 - 8.75 फीसदी
  • 2013-14 - 8.75 फीसदी

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कर्मचारियों के प्रॉविडेंट फंड में मूल वेतन का 12 फीसदी होता है शामिल
EPFO के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (मूल वेतन+महंगाई भत्ता) का 12 फीसदी प्रॉविडेंट फंड में जाता है और कंपनी भी इतना ही योगदान करती है. वहीं कंपनी द्वारा किए जाने वाले योगदान में से 8.33 फीसदी हिस्सा एंप्लायी पेंशन स्कीम (Employee Pension Scheme-EPS) में जाता है. साथ ही केंद्र सरकार भी EPS में मूल वेतन का 1.16 फीसदी योगदान करती है.

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