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दुनियाभर की एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट का अनुमान जताया

गोल्डमैन साक्स ने वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान भारत के GDP में सबसे ज्यादा 14.8 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है.फिच ने 10.5 प्रतिशत और इंडिया रेटिंग एजेंसी ने वर्ष के दौरान जीडीपी का आकार 11.8 प्रतिशत घटने का अनुमान व्यक्त किया है.

Updated on: 09 Sep 2020, 07:53 AM

नई दिल्ली:

दुनिया की कई रेटिंग एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में बड़ी गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है. अमेरिका की ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन साक्स ने वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP Growth Rate) में सबसे ज्यादा 14.8 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है. वहीं फिच ने 10.5 प्रतिशत और इंडिया रेटिंग एजेंसी ने वर्ष के दौरान जीडीपी का आकार 11.8 प्रतिशत घटने का अनुमान व्यक्त किया है. फिच रेटिंग्स ने वर्ष 2020 में विश्व अर्थव्यस्था में 4.4 प्रतिशत संकुचन का अनुमान जताया है. इस एजेंसी के अनुसार चीन का जीडीपी इस साल बढ़ेगा और उसकी आर्थिक वृद्धि दर 2.7 तक रह सकती है.

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2020- 21 में भारत की जीडीपी में 14.8 प्रतिशत की बड़ी गिरावट का अनुमान: गोल्डमैन साक्स
गोल्डमैन साक्स ने भारत की आर्थिक वृद्धि के बारे में अपने पहले अनुमान में बड़ी कटौती करते हुये कहा कि 2020- 21 में भारत की जीडीपी में 14.8 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयेगी. उसने इससे पहले 11.8 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान लगाया था. ब्रोकरेज कंपनी का ताजा अनुमान चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी होने के कुछ ही दिन बाद सामने आया है. जीडीपी के अगस्त अंत में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून 2020 तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 23.9 प्रतिशत घटा है. इस दौरान लॉकडाउन के कारण कृषि क्षेत्र को छोड़कर ज्यादातर गतिविधियां नीचे आ गईं. वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में वृद्धि की राह पर लौटाने से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष में 10.5 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आ सकती है.

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2021-22 में अर्थव्यवस्था में 11 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना: फिच
फिच ने अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य (जीईओ) में कहा है, आर्थिक गतिविधियों के शुरू होने पर जीडीपी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर- दिसंबर 2020) में पटरी पर लौटेगी, लेकिन ऐसे संकेत हैं कि सुधार की गति धीमी और असमान है. फिच ने चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी के अपने अनुमान को संशोधित करते हुये (-) पांच प्रतिशत अंक के भारी संशोधन के साथ 10.5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान व्यक्त किया है. उसने कहा कि उसके बाद 2021-22 में अर्थव्यवस्था में 11 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. ऐसा इस साल के गिरे आधार की वजह से होगा जबकि उससे अगल साल इसमें 6 प्रतिशत की सामान्य वृद्धि होगी. फिच की भारतीय इकाई इंडिया रेटिंग्स एण्ड रिसर्च ने 2020- 21 में 11.8 प्रतिशत गिरावट का अनुमान व्यक्त किया है. इससे पहले उसने इस वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में 5.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था.

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भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले वित्त वर्ष 2019- 20 में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी. देश में करीब दो महीने लंबे चले लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई और दूसरी तरफ कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों पर भी अंकुश नहीं लग पाया. कोविड- 19 से संक्रमित लोगों की संख्या 42 लाख से ऊपर निकल चुकी है और 70 हजार से अधिक लोगों की इससे मौत हो चुकी है. गोल्डमैन साक्स के विश्लेषकों का मानना है कि सितंबर 2020 में समाप्त होने वाली दूसरी तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी में 13.7 प्रतिशत, उसके बाद दिसंबर तिमाही में 9.8 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान है. इससे पहले इन तिमाहियों में क्रमश: 10.7 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया गया था.

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वहीं इंडिया रेटिग्ंस ने दूसरी तिमाही में 11.9 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.4 प्रतिशत गिरावट का अनुमान व्यक्त किया है. वर्ष 2020- 21 में भाारत के जीडीपी में 14.8 प्रतिशत गिरावट आने का गोल्डमैन साक्स का यह अनुमान अब तक व्यक्त किये गये सभी अनुमानों में सबसे निराशाजनक है. (इनपुट भाषा)