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मोदी सरकार के इस कदम से घरेलू खिलौना उद्योग को मिला नया जीवन

कारोबारी इस महीने के आखिर में होने जा रहे घरेलू उद्योग का महाकुंभ वर्चुअल टॉय फेयर की तैयारी की तैयारी में जुटे हैं. इस मेले में देश के 1,000 से ज्यादा खिलौना विनिर्माता हिस्सा ले रहे हैं

Updated on: 16 Feb 2021, 11:58 AM

highlights

  • घरेलू उद्योग का महाकुंभ वर्चुअल टॉय फेयर में देश के 1,000 से ज्यादा खिलौना विनिर्माता ले रहे हैं हिस्सा
  • खिलौने (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2020 एक जनवरी 2021 से लागू होने के बाद से चीन से इंपोर्ट रुका

नई दिल्ली:

चीन से सस्ते खिलौने के आयात पर लगाम लगने के बाद देसी खिलौना विनिर्माता घरेलू मांग की पूर्ति करने के साथ-साथ निर्यात बढ़ाने के भी विकल्प तलाशने लगे हैं. बहरहाल, कारोबारी इस महीने के आखिर में होने जा रहे घरेलू उद्योग का महाकुंभ 'वर्चुअल टॉय फेयर' की तैयारी की तैयारी में जुटे हैं. इस मेले में देश के 1,000 से ज्यादा खिलौना विनिर्माता हिस्सा ले रहे हैं जिन्हें अपने प्रोडक्ट को इस मंच के जरिए दुनिया के सामने पेश करने का मौका मिलेगा. टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अजय अग्रवाल ने बताया कि खिलौने (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2020 एक जनवरी 2021 से लागू होने के बाद से चीन से खिलौने का आयात रुक गया है, क्योंकि भारत में अब वही खिलौने बिकेंगे जो भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएएस) के मानक के अनुरूप होंगे. खिलौना विनिर्माता के लिए 'आईएसआई' मार्क का इस्तेमाल करने के लिए बीआईएस से लाइसेंस लेना अनिवार्य है. 

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किसी भी चीनी कंपनी को अब तक बीआईएस का लाइसेंस नहीं मिला
अग्रवाल ने बताया कि इसी कारण चीन से इस साल खिलौने का आयात नहीं हो रहा है, क्योंकि किसी भी चीनी कंपनी को अब तक बीआईएस का लाइसेंस नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि देश के बाजार में हालांकि अभी चीन से आयातित खिलौने मौजूद हैं, क्योंकि पिछले साल दिसंबर मेंकाफी खिलौनों का आयात हुआ. अग्रवाल ने बताया कि आयात रुकने से लोकल इंडस्ट्री को फायदा मिला है और इस क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होने की उम्मीद जगी है, साथ ही देश में खिलौने की क्वालिटी में सुधार होने लगा है. उन्होंने कहा कि हमारी निगाहें अब खिलौने का निर्यात करने पर है. उन्होंने बताया कि भारत का सालाना खिलौना निर्यात तकरीबन 800-1,000 करोड़ रुपये है जिसे आगे बढ़ाना है. वहीं, आयात के आंकड़ों के बारे में उन्होंने बताया कि भारत सालाना करीब 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये का खिलौना आयात करता है, जबकि देश के खिलौना बाजार का खुदरा कारोबार करीब 15,000-20,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें 75 फीसदी आयातित खलौने होते हैं और देसी खिलौने सिर्फ 25 फीसदी होते हैं, लेकिन अब घरेलू खिलौने का कारोबार आने वाले दिनों में बढ़ेगा.

क्यूसीओ-2020 लागू होने से देसी कंपनियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछने पर अग्रवाल बताया कि अब देश में आईएसआई मार्क युक्त खिलौने ही बिकेंगे, इसलिए इसके लिए सब तैयार है, साथ ही सरकार ने पांच करोड़ रुपये तक की टर्नओवर वाली एमएसएमई यूनिट को इन-हाउस टेस्टिंग लैब लगाने में एक साल तक की छूट दे दी गई है. इससे उन्हें काफी राहत मिली है. दिल्ली-एनसीआर के खिलौना कारोबारी और प्लेग्रो टवॉयज ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर मनु गुप्ता ने भी बताया कि क्यूसीओ अब कोई मसला नहीं रहा, क्योंकि हर कोई अपने खिलौने की क्वालिटी सुधारने की कोशिश में जुटा हुआ है, ताकि घरेलू बाजार पर पकड़ बनाने के बाद विदेशी बाजारों की प्रतिस्पर्धा में भी उसके खिलौने टिक सकें.

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मनु गुप्ता इन दिनों 27 फरवरी से दो मार्च तक चलने वाले चार दिवसीय इंडिया टॉय फेयर-2021 की तैयारी में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि देश के खिलौना विनिर्माताओं को अपने खिलौने दुनिया के सामने पेश करने का यह बेहतरीन मौका है. गुप्ता ने बताया कि दुनिया में परंपरागत खिलौने 64 जीआई-टैग में से भारत के पास 12 जीआई-टैग हैं जो कि दुनिया में किसी एक देश के पास सबसे ज्यादा है. उन्होंने कहा कि इस मेले में मौजूदा परंपरागत ट्रॉय कलस्टर के विनिर्माताओं को अपने उत्पाद पेश करने के साथ अपने हुनर से भी दुनिया के देशों को रूबरू कराने मौका मिलेगा. उन्होंने बताया कि देश में परंपरागत खिलौने विनिर्माण में जो रोजगार पाने वालों में 60 फीसदी महिलाएं हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मोदी सरकार घरेलू खिलौना उद्योग को बढ़ावा दे रही है.