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भारत के रिटेल सेक्टर में वर्चस्व के लिए मुकेश अंबानी-जेफ बेजोस के बीच तेज़ हुई जंग, जानिए पूरी कहानी

अमेजन ने पिछले साल किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. जानकारों का कहना है कि अमेजन एक करार के जरिए अप्रत्यक्ष तरीके से खुदरा श्रृंखला बिग बाजार में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.

Updated on: 28 Nov 2020, 02:54 PM

नई दिल्ली:

रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries Ltd-RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और अमेजन के प्रमुख जेफ बेजोस (Jeff Bezos) के बीच कारोबारी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले पा रही है. दोनों ही अरबपति भारत में रिटेल सेक्टर में अपना सिक्का जमाने के लिए एक दूसरे को पीछे छोड़ने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. जानकारों का कहना है कि अमेजन एक करार के जरिए अप्रत्यक्ष तरीके से खुदरा श्रृंखला बिग बाजार में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.

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पिछले साल अमेजन ने फ्यूचर समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में खरीदी थी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी 
बता दें कि अमेजन ने पिछले साल किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. साथ ही उसने सरकार द्वारा बहुब्रांड खुदरा कंपनियों में विदेशी स्वामित्व की सीमा हटाये जाने की स्थिति में सूचीबद्ध प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल लि.(एफआरएल) के अधिग्रहण का भी अधिकार हासिल किया था. कोरोना वायरस महामारी की वजह से लगाए लॉकडाउन के चलते एफआरएल गंभीर नकदी संकट में घिर गई थी. उसके बाद उसने रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के साथ अपनी संपत्तियों की 24,713 करोड़ रुपये में बिक्री का करार किया था. इस पर अमेजन ने आपत्ति जताई थी. अमेरिकी कंपनी का दावा है कि उसका गैर-सूचीबद्ध फ्यूचर कूपंस लि. (एफसीएल) के साथ अनुबंध कई लोगों और कंपनियों के साथ लेनदेन को रोकता है. इनमें अंबानी और रिलायंस शामिल है.

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सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने खारिज की फ्यूचर रिटेल की याचिका
अमेजन और फ्यूचर कूपन्स के बीच मध्यस्थता प्रक्रिया से खुद को अलग करने की फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की याचिका को सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने खारिज कर दिया है. सूत्रों ने जानकारी दी कि सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अदालत (एसआईएसी) ने मध्यस्थता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के भी आदेश दिए हैं. अक्टूबर में वी. के. राजा की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस मामले में अंतरिम आदेश दिया था. इसके तहत अदालत ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड पर कंपनी की परिसंपत्तियों के किसी भी तरह के हस्तांतरण, परिसमापन या किसी करार के तहत दूसरे पक्ष से कोष हासिल करने के लिए प्रतिभूतियां जारी करने पर रोक लगायी है. सूत्रों के अनुसार फ्यूचर रिटेल ने एसआईएसी से कहा था कि अमेजन की ओर से शुरू की गयी मध्यस्थ निर्णय प्रक्रिया एक ऐसे समझौते के आधार हिस्सा है जिसमें फ्यूचर रिटेल पक्षकार नहीं है। ऐसे में कंपनी ने एसआईएसी से खुद को मध्यस्थता प्रक्रिया से अलग करने की याचिका दाखिल की थी. 

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हालांकि एसआईएसी ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने और उसके अनुरूप मामले में एक न्यायाधिकरण गठित करने का फैसला किया है. इस संबंध में अमेजन और फ्यूचर रिटेल को भेजे ईमेल पर प्रतिक्रिया नहीं मिली है. मामला पिछले साल अगस्त में फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अमेजन द्वारा अधिग्रहण किए जाने और इसी के साथ समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में पहले हिस्सेदारी खरीदने के अधिकार से जुड़ा है. फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपन्स की भी हिस्सेदारी है. इस संबंध में विवाद तब उत्पन्न हुआ जब फ्यूचर समूह ने करीब 24,000 करोड़ रुपये में अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का समझौता किया. 

रिलायंस-फ्यूचर सौदे को प्रतिस्पर्धा आयोग की मंजूरी
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर समूह के 24,713 करोड़ रुपये के सौदे को मंजूरी प्रदान कर दी. रिलायंस समूह ने अगस्त में फ्यूचर समूह के खुदरा, थोक, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार का अधिग्रहण करने के लिए यह सौदा किया था. सीसीआई ने ट्वीट कर कहा था कि फ्यूचर समूह के खुदरा, थोक, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार के रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड और रिलायंस रिटेल एंड फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड द्वारा अधिग्रहण किए जाने के सौदे को मंजूरी दी गयी. एक निश्चित धनराशि के सौदों के लिए सीसीआई की मंजूरी की आवश्यकता होती है. सीसीआई बाजार में अनुचित कारोबारी गतिविधियों पर नजर रखने और प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए नियामक की भूमिका अदा करती है. 

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हालांकि फ्यूचर-रिलायंस सौदे के खिलाफ अमेरिकी ई-वाणिज्य कंपनी ने कानूनी कार्रवाइयां शुरू कर रखी हैं. फ्यूचर समूह और अमेजन के बीच का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। फ्यूचर समूह की अमेजन के सौदे में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाने की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत ने संबंधित पक्षों को इस पर उनकी लिखित प्रतिक्रिया जमा कराने के लिए 23 नवंबर तक का वक्त दिया है. पिछले साल अमेजन ने समूह की एक गैर-सूचीबद्ध कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. साथ ही समूह की सूचीबद्ध कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड में पहले हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार हासिल किया था. अमेजन का दावा है कि फ्यूचर कूपन्स के साथ हुआ उसका सौदा समूह को फ्यूचर रिटेल में लेनदेन से रोकता है.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमेजन के मामले में फ्यूचर रिटेल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की खुदरा दुकानों और कुछ और कारोबार को 24,713 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए रिलायंस-फ्यूचर सौदे में अमेजन की दखल रोकने की याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है. न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने सभी पक्षों के साथ पांच दिन तक सुनवाई की और उन्हें 23 नवंबर तक अपनी लिखित टिप्पणियां सौंपने का वक्त दिया था. अदालत ने 10 नवंबर को फ्यूचर रिटेल की याचिका पर अमेजन का जवाब मांगा था. फ्यूचर रिटेल ने इस सौदे के खिलाफ सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मंच (एसआईएसी) के अंतरिम स्थगन आदेश के आधार अमेजन पर रिलायंस के साथ अपने सौदे में अड़ंगा डालने का आरोप लगाया है और इस पर रोक की मांग की है. सिंगापुर के मध्यस्थता फोरम ने अमेजन की अर्जी पर स्थगन आदेश दिया है.

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उल्लेखनीय है कि किशोर बियानी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह ने अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को बेचने के लिए रिलायंस समूह के साथ सौदा किया है, लेकिन इस सौदे को लेकर अमेरिकी ई-वाणिज्य कंपनी अमेजन ने कानूनी विवाद खड़ा कर दिया है. अमेजन का दावा है कि उसने समूह की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है जिसकी फ्यूचर रिटेल में 9.82 प्रतिशत हिस्सेदारी है. उसका दावा है कि इस तरह के अप्रत्यक्ष निवेश के नाते उसके पास फ्यूचर रिटेल से जुड़े मामले में बोलने का हक है. कंपनी इस मामले में एसआईएसी से 25 अक्टूबर को अंतरिम आदेश प्राप्त करने में सफल रही. एसआईएसी ने अपने अंतरिम आदेश में फ्यूचर रिटेल पर मामले के निपटान तक किसी तरह की परिसंपत्ति या प्रतिभूति के हस्तांतरण या उसके परिसमापन पर रोक लगा दी थी. मामले में अमेजन ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को भी पत्र लिखकर एसआईएसी के अंतरिम आदेश का संज्ञान लेने के लिए कहा था. 

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कंपनी का कहना है कि यह एक बाध्यकारी निर्णय है. इसी क्रम में फ्यूचर रिटेल ने भी सेबी, सीसीआई और अन्य निकायों को पत्र लिखकर सौदे पर अमेजन के हस्तक्षेप पर रोक लगाने की मांग की थी। अमेजन ने इस अंतरिम राहत का विरोध करते हुए कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान अमेजन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रहमण्यम ने कहा कि एसआईएसी का आकस्मिक अंतरिम आदेश इसे चुनौती देने वाले पक्षों के लिए बाध्यकारी है। जब तक संबंधित पक्ष अदालत से बाहर सुलह नहीं कर लेते एसआईएसी का आदेश एक अदालती आदेश की तरह बाध्यकारी है. उन्होंने कहा कि रिलायंस को छोड़कर अन्य सभी पक्ष इस मध्यस्थता मंच के फैसले में पक्षकार हैं. वहीं फ्यूचर रिटेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि इस मामले में फैसला लेने का अधिकार क्षेत्र किसी मध्यस्थ अदालत का है पर कोई आकस्मिक मध्यस्थ अदालत उसमें दखल नहीं दे सकती। उन्होंने यह भी दलील दी कि अमेजन ने फ्यूचर कूपन्स के साथ सौदा किया. उसके पास फ्यूचर रिटेल के मामलों में किसी तरह का नियंत्रण या मतदान करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में उसका दावा गलत है और इसे रोकने की जरूरत है.

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अमेजन-फ्यूचर कूपंस सौदा
विश्लेषकों का कहना है कि अमेजन ने एफआरएल में नहीं बल्कि किशोर बियानी के नियंत्रण वाली फ्यूचर कूपंस में निवेश किया है. फ्यूचर कूपंस वस्तुओं का थोक कारोबार और कॉर्पोरेट ग्राहकों को कॉर्पोरेट गिफ्ट्स कार्ड, लॉयल्टी कार्ड तथा रिवार्ड कार्ड का वितरण करती है. विश्लेषकों का कहना है कि 22 अगस्त, 2019 के शेयरधारक करार से एफसीएल को एफआरएल के प्रबंधन और मामलों में महत्वपूर्ण नियंत्रण का अधिकार मिल गया है. इसमें किसी खुदरा परिसंपत्ति की बिक्री उसकी अनुमति के बिना नहीं की जा सकती है. इसके अलावा यह अधिकार कुछ लोगों को संपत्ति की बिक्री पर भी रोक लगाता है. उन्होंने कहा कि यह एक तरह से अमेजन को एफआरएल में ‘नियंत्रण के अधिकार’ जैसा है. हालांकि, कानून इस तरह की अनुमति नहीं देता है. वहीं दूसरी ओर अमेजन का मानना है कि उसका एफआरएल के परिचालन पर नियंत्रण नहीं है और यह करार सिर्फ उसके निवेश को संरक्षण देता है. इस करार की जानकारी बाजार नियामक सेबी के साथ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को भी दी गई है. 

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सूत्रों का कहना है कि यह ‘नियंत्रण’ कानून का उल्लंघन है क्योंकि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में सरकार की अनुमति से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की काफी अंकुशों के साथ अनुमति है. इस बारे में अमेजन को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला ऊै। बहु ब्रांड खुदरा कंपनी में विदेशी नियंत्रण के आरोपों को इस आधार पर खारिज किया जा रहा है कि एफआरएल में 12.3 प्रतिशत की विदेशी पोर्टफोलियो हिस्सेदारी है. अमेजन ने एफसीएल में 1,430 करोड़ रुपये में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है. 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बियानी के पास है। वहीं एफसीएल के पास एफआरएल में 9.82 प्रतिशत वोटिंग अधिकार है. एफसीएल में स्वत: मंजूर मार्ग से एफडीआई की अनुमति है। सूत्रों ने कहा कि एफडीआई कानून के तहत एफसीएल के पास उस समय तक एफआरएल के शेयर रह सकते हैं जबतक कि उसका नियंत्रण भारतीय निवासी बियानी के पास है. (इनपुट भाषा)