इतिहास में पहली मंदी पर लगी सरकार की मुहर, दूसरी तिमाही में -7.5 फीसदी की ग्रोथ

इतिहास में पहली मंदी पर लगी सरकार की मुहर, दूसरी तिमाही में -7.5 फीसदी की ग्रोथ

author-image
nitu pandey
एडिट
New Update
demo photo

मंदी पर लगी सरकार की मुहर, दूसरी तिमाही में -7.5 फीसदी की ग्रोथ( Photo Credit : प्रतिकात्मक फोटो)

कोरोना महामारी के बीच दूसरी बार जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े सामने आ गए हैं. देश के इतिहास में पहली बार मंदी पर मुहर लगी है. वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी यानी सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव में 7.5 फीसदी रही है. वित्त वर्ष की पहली यानी जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है.

Advertisment

सांख्यिकी मंत्रालय ने जीडीपी के आंकड़े जुलाई से सितंबर तक के जारी किए हैं. पहली तिमाही में - 23.9 फीसदी जीडीपी का आंकड़ा रहा था. दूसरी तिमाही में भी जीडीपी नेगेटिव में गया है. 

सीईए के मुताबिक मौजूदा अनिश्चितता को देखते हुए, अभी यह अनुमान जताना मुश्किल है कि आर्थिक वृद्धि दर सकारात्मक दायरे में तीसरी या चौथी तिमाही में आएगी.

हाल में आरबीआई के एक अधिकारी ने कहा  था कि इस तरह लगातार दो तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट के साथ देश पहली बार मंदी के चक्र में फंस गया है. कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के असर से पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई थी.

इसे भी पढ़ें:इसको डेप्युटी CM बनवाया, नीतीश ने तेजस्वी को दिखाया अपना रौद्र रूप

अर्थव्यवस्था के परिभाषा के मुताबिक अगर किसी देश की जीडीपी लगातार दो तिमाही निगेटिव रहती है तो उसे मंदी मान लिया जाता है. इस हिसाब से भारत की जीडीपी निगेटिव रही है तो यह कहा जा सकता है कि देश में मंदी आ चुकी है.

Source : News Nation Bureau

भारत की जीडीपी ग्रोथ Recession GDP
      
Advertisment