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Amazon और Flipkart मामले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का हुआ जिक्र, जानिए क्या है इसका काम

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002) के प्रवर्तन के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी है.

Updated on: 09 Aug 2021, 02:37 PM

highlights

  • बाजारों को उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए कार्यशील बनाएगा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग
  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में सरकार द्वारा नियुक्त 1 अध्यक्ष और 6 सदस्य शामिल

नई दिल्ली :

सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी सोमवार को ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजॉन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उन्हें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India-CCI) द्वारा प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों के लिए जांच का सामना करना होगा. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना और न्यायमूर्ति विनीत सरन और सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, आप (फ्लिपकार्ट और अमेजॉन) जैसे बड़े संगठनों को जांच के लिए स्वेच्छा से आगे आना चाहिए .. जांच की जानी चाहिए. ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस मामले में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग का क्या रोल है और यह कैसे काम करता है. आइए इस रिपोर्ट में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.

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बता दें कि भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002) के प्रवर्तन के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी है. बता दें कि प्रतिस्पर्धा यह सुनिश्चित करने हेतु श्रेष्ठ साधन है कि 'सामान्य जन' अथवा ''आम आदमी'' की पहुंच अत्यधिक प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर व्यापक श्रेणी में वस्तुओं एवं सेवाओं तक हो. बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा से उत्पादकों को नव परिवर्तन लाने एवं विशेष अघ्ययन करने में अधिकतम प्रोत्साहन मिलेगा. इसके परिणाम स्वरूप लागत में कमी आएगी और उपभोक्ताओं को रुचि के व्यापक विकल्प मिलेंगे। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए बाजार में उचित प्रतिस्पर्धा का होना अनिवार्य है. हमारा लक्ष्य अर्थव्यवस्था में उचित प्रतिस्पर्धा का सृजन करना और उसको सतत्‌ रूप से बनाए रखना है जो उत्पादकों (विनिर्माताओं) को एक ''स्तरीय कार्य क्षेत्र'' मुहैया कराएगा तथा बाजारों को उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए कार्यशील बनाएगा.

प्रतिस्पर्धा अधिनियम
प्रतिस्पर्धा संशोधन अधिनियम, 2007 द्वारा यथा संशोधित प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 आधुनिक प्रतिस्पर्धा कानूनों के दर्शन का अनुकरण करता है. यह अधिनियम प्रतिस्पर्धा-रोधी करारों, उद्यमों द्वारा प्रमुख स्थिति के दुरूपयोग को निषेध करता है तथा संयोजनों (अधिग्रहण, नियंत्रण तथा एम एण्ड ए की प्राप्ति) को विनियमित करता है जिसके कारण भारत में प्रतिस्पर्धा पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है अथवा उसके पड़ने की संभावना हो सकती है.

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग
इस अधिनियम के उद्देश्यों को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सी सी आई) के माध्यम से प्राप्त किया जाना है जिसका गठन केंद्र सरकार द्वारा 14 अक्टूबर, 2003 को किया गया है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और 6 सदस्य शामिल हैं. आयोग का कर्त्तव्य प्रतिस्पर्धा पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव वाले व्यवहारों को समाप्त करना, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना तथा उसे सतत्‌ रूप से बनाए रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और भारतीय बाजारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है. आयोग को विधि के अंतर्गत स्थापित किसी भी सांविधिक प्राधिकरण से प्राप्त होने वाले संदर्भ पर प्रतिस्पर्धा संबंधी मुद्‌दों पर अपनी राय देना तथा प्रतिस्पर्धा परामर्श आरंभ करना, प्रतिस्पर्धा मुद्‌दों पर जन-जागरूकता का सृजन करना और प्रशिक्षण देना भी अपेक्षित है.