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गोल्ड ज्वैलरी (Gold Jewellery) कितनी है शुद्ध, घर बैठे इस मोबाइल ऐप से कर सकते हैं पता

Gold Hallmarked Jewellery: BIS ने कस्टमर्स को मजबूत बनाने के उद्देश्य से एक खास मोबाइल ऐप तैयार किया है. BIS Care App नाम के ऐप को Play Store से डाउनलोड किया जा सकता है.

Updated on: 21 Jan 2022, 10:29 AM

highlights

  • देश में BIS सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट देता है
  • सोने की हॉलमार्किंग के लिए फिलहाल तीन ग्रेड तय हैं

नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने 16 जून 2021 से सोने पर हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) को अनिवार्य कर दिया है. हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद से ज्वैलर्स बिना हॉलमार्किंग वाली सोने की ज्वैलरी (Gold Hallmarked Jewellery) की बिक्री नहीं कर सकते हैं. देश के 256 जिलों में हॉलमार्किंग (Gold Jewellery) के नियम को लागू कर दिया गया है. ऐसे में अगर आपने हाल ही में हॉलमार्क ज्वैलरी की खरीदारी की है और आप उसकी शुद्धता की जांच करना चाहते हैं तो आप यह काम एक मोबाइल ऐप से भी कर सकते हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि किस ऐप के जरिए सोने की शुद्धता की जांच की जा सकती है. 

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ऐसे चेक कर सकते हैं हॉलमार्क ज्वैलरी की शुद्धता

बता दें कि BIS ने कस्टमर्स को मजबूत बनाने के उद्देश्य से एक खास मोबाइल ऐप तैयार किया है. BIS Care App नाम के ऐप को Play Store से डाउनलोड किया जा सकता है. ग्राहक इस ऐप की मदद से खरीदे गए प्रोडक्ट की शुद्धता और गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं. साथ ही इस ऐप के जरिए शिकायत और उसके निवारण आदि की जानकारी भी हासिल की जा सकती है. कस्टमर ISI मार्क के साथ Verify Licence Details में जाकर किसी भी प्रोडक्ट की प्रमाणिकता की जांच कर सकते हैं. हॉलमार्क वाली ज्वैलरी के HUID नंबर से ‘Verify HUID’ में जाकर उसकी शुद्धता चेक कर सकते हैं. BIS केयर ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन नंबर, ज्वैलर का नाम, सामान का नाम, शुद्धता/क्वॉलिटी, असेसिंग नंबर, असेसिंग सेंटर का नंबर, पता और हॉलमार्किंग की तारीख की जानकारी मिल जाती है.   

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हॉलमार्किंग क्यों जरूरी है

आपको बता दें कि हॉलमार्किंग वह तरीका है जिससे सोने की शुद्धता प्रमाणित होती है. भारतीय स्टैंडर्ड को गोल्ड में मार्क करने को हॉलमार्किंग कहा जाता है. कैरेट के जरिए भारतीय स्टैंडर्ड को सोने के ऊपर अंकित किया जाता है. अभी तक बगैर हॉलमार्किंग के गोल्ड ज्वैलरी (Gold Jewellery) खरीदने पर अगर उसे बेचने जाते थे तो आपको कम भाव मिलता था. चूंकि आपके पास सोने की शुद्धता का कोई भी सर्टिफिकेट नहीं होता है इसलिए हो सकता है कि जब आप 22 कैरेट की ज्वैलरी को बेचने जाएं तो आपकी ज्वैलरी 18 कैरेट की निकल आए. ऐसे में आपको मोटा नुकसान हो सकता है. इन्हीं सब दिक्कतों को देखते हुए हॉलमार्किंग जरूरी हो गया है.

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क्या हैं हॉलमार्किंग के नियम
देश में BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट देता है. सोने की हॉलमार्किंग के लिए अभी फिलहाल तीन ग्रेड तय हैं. 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट तीन ग्रेड तय किए गए हैं.

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खरीदार कैसे पहचानें हॉलमार्क
हॉलमार्क वाली ज्वैलरी पर BIS का मुहर लगा रहता है. इसके अलावा हॉलमार्क के वर्ष का भी जिक्र होता है. सोने की शुद्धता की कैरेट बताने के लिए सोने पर K लिखा होता है. 22K का मतलब 91.6 फीसदी प्योरिटी यानी 916 गोल्ड, 24 कैरेट यानी 99.9 फीसदी शुद्धता, 23 कैरेट में 95.8 फीसदी शुद्धता, 22 कैरेट यानी 91.6 फीसदी शुद्धता, 21 कैरेट यानी 87.5 फीसदी की शुद्धता, 18 कैरेट यानी 75 फीसदी की शुद्धता, 17 कैरेट यानी 70.8 फीसदी की शुद्धता और 14 कैरेट यानी 58.5 फीसदी की शुद्धता होती है.