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खरीदी गई दवा (Medicine) असली या नकली, सिर्फ 10 सेकेंड में इस आसान तरीके से हो जाएगी पहचान

QR Code on API: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक QR Code की मदद से अब महज कुछ ही सेकेंड्स में असली और नकली दवा (Medicine) की पहचान आसानी से हो जाएगी.

Updated on: 21 Jan 2022, 09:02 AM

highlights

  • 1 जनवरी 2023 से API के ऊपर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य हो जाएगा
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है

नई दिल्ली:

QR Code on API: आपने अपने नजदीकी मेडिकल स्टोर या फिर किसी ऑनलाइन पोर्टल से जो दवाएं (Medicine) खरीदी हैं वह असली है या नकली, इसकी पहचान करना फिलहाल एक मुश्किल भरा काम है. हालांकि अब असली और नकली दवाओं की पहचान करना आसान होने जा रहा है. केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए एक सख्त कदम उठाया है. सरकार ने दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (Active Pharmaceutical Ingredient-APIs) पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाना अनिवार्य कर दिया है. 

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया नोटिफिकेशन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक QR Code की मदद से अब महज कुछ ही सेकेंड्स में असली और नकली दवा की पहचान आसानी से हो जाएगी. मतलब यह कि कस्टमर अपने मोबाइल से दवा पर मौजूद क्यूआर कोड को स्कैन करके नकली और असली के बारे में पता लगा सकेंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नया नियम 1 जनवरी 2023 से लागू होगा. मतलब यह कि 1 जनवरी 2023 से API में क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य हो जाएगा. 

एपीआई में क्यूआर कोड लगाने से इस बात का भी पता लगाया जा सकेगा कि दवा को बनाने में कहीं फॉर्मूले में तो कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है. साथ ही कच्चा माल कहां से आया है और यह प्रोडक्ट कहां जा रहा है इसकी जानकारी भी मिल सकेगी. बता दें कि गुणवत्ता से हल्की क्वॉलिटी, नकली या फिर खराब API से बनी दवाओं का मरीज को फायदा नहीं मिलता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जून 2019 में DTAB यानी ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.

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सरकार साल 2011 से इस नियम को लागू करने की कोशिश कर रही है लेकिन दवा कंपनियों की ओर से बार-बार मना करने की वजह से अभी तक इस पर फैसला नहीं लिया जा सका. दरअसल, दवा कंपनियों को इस बात की चिंता थी कि विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से अलग-अलग दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे. कंपनियों की ओर से मांग की जा रही थी कि पूरे देश में एक समान क्यूआर कोड नियम को लागू किया जाए. इसके बाद 2019 में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने ये ड्राफ्ट तैयार किया था.