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कर कटौती, मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी से उपभोग क्षमता पर होता सकारात्मक प्रभाव

कर कटौती, मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी से उपभोग क्षमता पर होता सकारात्मक प्रभाव

Updated on: 02 Feb 2022, 04:50 PM

नयी दिल्ली:

केंद्रीय बजट में इस बार निजी उपभोग क्षमता को बढ़ाने के उपाय बहुत ही सीमित रहे। मॉर्निग स्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कर में कटौती जैसे निजी आयकर संबंधी उपायों तथा मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी किये जाने का उपभोग क्षमता पर तत्काल सकारात्मक प्रभाव पड़ता।

सरकार आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। इससे निजी पूंजीगत व्यय में भी मदद मिलेगी।

बजट में घोषित प्रावधानों से पूंजीगत वस्तु, स्टील, सीमेंट, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों को लाभ होने की उम्मीद है, जिससे शेयर बाजार का बजट के प्रति रुख सकारात्मक रहा। सरकार कह अगुवाई में पूंजीगत व्यय पर जोर, निर्यात को बेहतर करने, रिण लागत में कमी, खपत क्षमता में बढ़ोतरी की संभावना और बेहतर वहन क्षमता के साथ हाउसिंग बाजार के पटरी पर लौटने से वित्त वर्ष 2022-23 में कॉरपोरेट आय में तेजी (20-24 प्रतिशत) की उम्मीद है। इनमें से अधिकतर कारक निजी उपभोग क्षमता पर आधारित हैं, जो फिलहाल सुस्त चल रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकट के शुरूआती समय मार्च 2020 के दौरान बाजार बहुत तेजी से नीचे गिर गया था, लेकिन साइक्लिक सेक्टर की वापसी की बदौलत इसमें तेज सुधार हुआ। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला में लगातार जारी बाधाओं के बीच महंगाई दर में बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व के उपायों से चिंतित बाजार में हाल ही में कुछ करेक्शन देखने में आया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार और परिसंपत्ति के लिए मूल्यांकन आधारित रिटर्न अनुमान की तुलना जब इसकी दीर्घावधि या उचित रिटर्न से की जाती है, तो इससे यह निर्णय करने में आसानी होती है कि बाजार और परिसंपत्ति की कीमतें आकर्षक हैं या नहीं। मौजूदा स्थिति में हम मंझोली और छोटी इक्वि टी के बजाय बड़ी कंपनियों की इक्वि टी को तरजीह देंगे।

चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 6.85 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2023 में वित्तीय घाटे के जीडीपी के 6.44 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। वित्त वर्ष 2022 के 8.76 लाख करोड़ रुपये की तुलना में वित्त वर्ष 2023 के 11.69 लाख करोड़ रुपये की सरकार की कुल बाजार उधारी से सरकारी प्रतिभूति के यील्ड पर नकारात्मक असर पड़ा है। आरबीआई द्वारा कोई हस्तक्षेप न होने के कारण 10 साल की सरकारी प्रतिभूति का यील्ड इसी स्तर पर रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक यील्ड में सुधार के लिए ओपेन मार्केट ऑपरेशन यानी बांड की खरीद आदि उपायों को अपनाने की जरुरत पड़ सकती है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.