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RBI Credit Policy 2020: RBI की क्रेडिट पॉलिसी की बैठक आज से शुरू, EMI को लेकर आ सकता है बड़ा फैसला

RBI Credit Policy 2020: MPC की बैठक में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) की वजह से प्रभावित हुई भारतीय अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं.

Updated on: 04 Aug 2020, 01:59 PM

नई दिल्ली:

RBI Credit Policy 2020: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank-RBI) के गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) की तीन दिन की बैठक आज यानि चार अगस्त से शुरू हो गई है. बैठक के नतीजों की घोषणा छह अगस्त को की जाएगी. MPC की बैठक में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) की वजह से प्रभावित हुई भारतीय अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली MPC की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा 6 अगस्त को की जाएगी.

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ब्याज दरों में कटौती की संभावना नहीं: SBI Ecowrap Report
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट-इकोरैप (SBI Ecowrap Report) के मुताबिक पॉलिसी में रिजर्व बैंक के द्वारा दरों में कटौती की संभावना नहीं है. हमारा मानना है कि एमपीसी की बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि मौजूदा परिस्थतियों में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए और क्या गैर-परंपरागत उपाय किए जा सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी से रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती हो चुकी है. बैंकों ने ग्राहकों को नए कर्ज पर इसमें से 0.72 प्रतिशत कटौती का लाभ दिया है.

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अगली नीतिगत समीक्षा बैठक में वृद्धि की जगह मुद्रास्फीति पर ध्यान दें: विरल आचार्य
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी-गवर्नर विरल आचार्य ने कहा है कि मुद्रास्फीति उम्मीद से अधिक है और दरें तय करने वाली समिति को अगले सप्ताह नीतिगत समीक्षा बैठक के दौरान अपने मुख्य उद्देश्य कीमतों को नियंत्रित करने पर ध्यान देना चाहिए. आचार्य की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब ऐसा कहा जा रहा है कि भले ही प्रमुख मुद्रास्फीति की दर जून में छह प्रतिशत के स्तर को पार कर गई हो, फिर भी आर्थिक सुधार को बढृावा देने के लिए दरों में आगे और कटौती हो सकती है. छह प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर आरबीआई की सहज स्थिति से अधिक है. आरबीआई ने मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर रखने का लक्ष्य तय किया है, हालांकि इसमें दो प्रतिशत कम-ज्यादा होने की गुंजाइश है.

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हालांकि, कई विश्लेषकों ने आर्थिक वृद्धि के लिए दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का अनुमान जताया है, जबकि कुछ का कहना है कि महंगाई के चलते हो सकता है इस बार आरबीआई कोई बदलाव न करे. आचार्य ने कहा कि मेरे विचार में, एमपीसी को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए कि आपके पास एक वैधानिक जिम्मेदारी है. आप पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति की प्रमुख लक्षित दर को चार प्रतिशत के दायरे में बनाए रखने की जिम्मेदारी है.