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पेट्रोल-डीजल भी GST के दायरे में आएगा? लखनऊ में आज होगी जीएसटी काउंसिल की बैठक

पेट्रोल के दामों के बढ़ते दामों से हाहाकार मची हुई है. वहीं तेल के दामों से केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की तगड़ी कमाई है. ऐसे में कई सालों से ये मांग उठ रही है कि इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाए.

Updated on: 17 Sep 2021, 08:40 AM

लखनऊ:

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से अगर आप परेशान हैं तो आपको इससे जल्द राहत मिल सकती है. पेट्रोल डीजल को जीएसटी (GST) के दायरे में लाया जा सकता है. आज लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की बैठक सुबह 11 बजे होने वाली है. इस बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी. बैठक में सभी राज्यों के वित्तमंत्री भी इसमें शामिल होंगे. इसमें डीजल और पेट्रोल को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो पूरे देश में डीजल और पेट्रोल की कीमतें एक समान हो जाएंगी. केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएसटी काउंसिल से पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर फैसला करने को कहा था.  

लॉन्च हो सकता है कॉमन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल 
लखनऊ में होने वाली अगली बैठक में जीएसटी से जुड़ी सभी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कॉमन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल लॉन्च हो सकता है. इसके बाद जीएसटी पंजीकरण, कर भुगतान, रिटर्न भरने, गणना और आईजीएसटी सेटलमेंट का काम एक ही पोर्टल के जरिये किया जा सकेगा. इसके अलावा मौजूदा जीएसटी ग्राहकों को आधार सत्यापन की सुविधा भी दी जा सकती है. 

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साथ ही परिषद जोमैटो और स्विगी जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप को रेस्टोरेंट मानते हुए उनके डिलीवरी पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि सुबह 11 बजे से होने वाली बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों एवं केंद्र सरकार व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी शामिल होंगे.

केरल करेगा विरोध 
पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट (मूल्य वर्धित कर) आधे के करीब योगदान है. ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्यों के राजस्व संग्रह पर असर पड़ेगा. केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल ने कहा कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर कोई कदम उठाया जाता है, राज्य उसका पुरजोर विरोध करेगा. 

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कोरोना उपचार से जुड़ी दवाइयों पर भी मिल सकती है राहत
इतना ही नहीं, बैठक में कोरोना उपचार से जुड़े उपकरणों व दवाइयों पर भी टैक्स से रियायत भी दी जा सकती है. इससे जीएसटी परिषद की 44वीं बैठक 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी. इसमें 30 सितंबर 2021 तक कोरोना वायरस में काम आने वाले उपकरणों और दवाओं पर जीएसटी की दरें घटाई गई थीं. तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में टीके पर पांच फीसदी की कर दर को कायम रखने पर सहमति बनी थी. एम्बुलेंस पर जीएसटी की दर को 28 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किया गया था.