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मोदी जी का कैश-मुक्त भारत मजदूर-किसान-छोटा व्यापारी मुक्त भारत है, राहुल गांधी का सरकार पर बड़ा हमला

राहुल गांधी ने मोदी सरकार के ऊपर आरोप लगाया है कि नोटबंदी की वजह से गरीब किसान असंगठित मजदूरों के ऊपर हमला हुआ है. उन्होंने कहा कि जो पांसा 8 नवंबर 2016 को फेंका गया था, उसका एक भयानक नतीजा 31 अगस्त 2020 को सभी के सामने आया है.

Updated on: 03 Sep 2020, 11:46 AM

नई दिल्ली:

अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के मुद्दे पर कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आज ट्विटर के ऊपर दूसरा वीडियो जारी किया है. उन्होंने नोट बंदी के मुद्दे पर सरकार के ऊपर हमला किया है. राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) के ऊपर आरोप लगाया है कि नोटबंदी की वजह से गरीब किसान असंगठित मजदूरों के ऊपर हमला हुआ है. उन्होंने कहा है कि मोदी जी का कैश-मुक्त भारत दरअसल मज़दूर-किसान-छोटा व्यापारी मुक्त भारत है. राहुल गांधी ने कहा कि जो पांसा 8 नवंबर 2016 को फेंका गया था, उसका एक भयानक नतीजा 31 अगस्त 2020 को सभी के सामने आया है.

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हिंदुस्तान के असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था नोटबंदी: राहुल गांधी 
उन्होंने नोटबंदी के मामले में कहा कि यह हिंदुस्तान के गरीब, किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार पर आक्रमण था. नोटबंदी हिंदुस्तान के असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था. 8 नवंबर 8:00 बजे 2016, प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी का निर्णय लिया और 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट को बंद कर दिया. पूरा हिंदुस्तान बैंक के सामने जाकर खड़ा हो गया. यहां पहला सवाल है कि इससे काला धन मिटा? तो जवाब है नहीं.

नोटबंदी का फायदा अरबपतियों को मिला

दूसरा सवाल- हिंदुस्तान के गरीब जनता को नोटबंदी से क्या फायदा मिला? जवाब- कुछ नहीं. तो फायदा किसको मिला? फायदा हिंदुस्तान के सबसे बड़े अरबपतियों को मिला. कैसे? उन्होंने कहा कि आपका जो पैसा था आपके जेब में से आपके घरों में से निकाल कर उसका प्रयोग सरकार ने इन लोगों का कर्जा माफ करने के लिए किया. मगर वह सिर्फ एक लक्ष्य था. दूसरा लक्ष्य भी था छुपा हुआ- जमीन साफ करने का, जो हमारा इनफॉरमल सेक्टर है असंगठित अर्थव्यवस्था का सेक्टर है वो कैश पर चलता है छोटा दुकानदार हो, किसान हो, मजदूर हो वो कैश से काम करता है.

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राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी का दूसरा लक्ष्य जो जमीन साफ करने का लक्ष्य असंगठित अर्थव्यवस्था के सिस्टम से नगद कैश को निकालने का था. प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा कि वह कैशलेस इंडिया चाहते हैं. कैशलेस हिंदुस्तान चाहते हैं. अगर कैशलेस हिंदुस्तान होगा तो असंगठित अर्थव्यवस्था तो खत्म हो जाएगी. नुकसान किसको हुआ? किसानों को, मजदूरों को, छोटे दुकानदारों को, स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस वालों को. जो कैश का प्रयोग करते हैं, जो बिना कैश जी हीं नहीं सकते. नोटबंदी हिंदुस्तान के गरीब, किसान, मजदूर और छोटे दुकानदार पर आक्रमण था. नोटबंदी हिंदुस्तान के असंगठित अर्थव्यवस्था पर आक्रमण था और हमें इस आक्रमण को पहचानना पड़ेगा और पूरे देश को मिलकर इसके खिलाफ लड़ना पड़ेगा.

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बता दें कि मंगलवार को राहुल गांधी ने जीडीपी विकास दर (GDP Growth Rate) में भारी गिरावट को लेकर सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने दावा किया था कि अर्थव्यवस्था की बर्बादी नोटबंदी से शुरू हुई थी और उसके बाद से एक के बाद एक गलत नीतियां अपनाई गईं. उन्होंने ट्वीट किया कि जीडीपी -23.9 प्रतिशत हो गई. देश की अर्थव्यवस्था की बर्बादी नोटबंदी से शुरू हुई थी. तब से सरकार ने एक के बाद एक ग़लत नीतियों की लाइन लगा दी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया कि सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था डुबो दी.

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6 महीने पहले आर्थिक सुनामी की बात कही थी: राहुल गांधी
उन्होंने ट्वीट किया कि आज से 6 महीने पहले आर्थिक सुनामी आने की बात बोली थी. कोरोना संकट के दौरान हाथी के दांत दिखाने जैसा एक पैकेज घोषित हुआ, लेकिन आज हालत देखिए. जीडीपी -23.9 प्रतिशत तक गिर गई. भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था को डुबा दिया. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी जी, अब तो मान लीजिए कि जिसे आपने मास्टरस्ट्रोक कहा, वास्तव में वो डिजास्टर स्ट्रोक थे. नोटबंदी, ग़लत जीएसटी, और देशबंदी (तालाबंदी).

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गौरतलब है कि कोविड-19 संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए. इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है. सकल घरेलू उत्पाद में पिछले वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.