New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2021/05/25/gdp-72.jpg)
सांकेतिक चित्र( Photo Credit : आईएएनएस)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
सांकेतिक चित्र( Photo Credit : आईएएनएस)
कोविड महामारी की दूसरी और घातक लहर से बाहर आने की उम्मीद कर रहे भारत के लिए आर्थिक मोर्चे पर अच्छी और बुरी दोनों खबरें हैं. अच्छी खबर यह है कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2021 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान जताई गई उम्मीद की अपेक्षा तेज गति से बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि लुप्त होती महामारी की अवधि के दौरान अर्थव्यवस्था गतिविधि में तेजी के परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों से अपेक्षित उत्पादन कहीं अधिक देखा गया है. लेकिन बुरी खबर यह है कि कोविड 2.0 और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी लॉकडाउन वित्त वर्ष 2022 में आर्थिक सुधार की सभी उम्मीदों को तेजी से नीचे की ओर धकेल सकता है, क्योंकि जीडीपी पहले के उच्च दोहरे अंकों की वृद्धि के बजाय इस साल केवल एकल अंक में ही बढ़ती प्रतीत हो रही है.
बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष की अध्यक्षता में एसबीआई की एक शोध टीम द्वारा तैयार एक इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि लगभग 1.3 प्रतिशत (नीचे की ओर पूर्वाग्रह के साथ) होगी. यह एनएसओ के माइनस 1 प्रतिशत अनुमान के मुकाबले बेहतर स्थिति है. इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि पूरे वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट अब लगभग 7.3 प्रतिशत होगी. यह पहले के अनुमान माइनस 7.4 प्रतिशत की तुलना में काफी अच्छी स्थिति दर्शाता है.
यह भी पढ़ेंःनारदा स्टिंग केस में गिरफ्तार TMC नेताओं पर SC ने सुनवाई से किया इंकार
एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि संक्रमण में वृद्धि के कारण अप्रैल से लगभग सभी राज्यों में नए सिरे से लॉकडाउन के कारण, हम मानते हैं कि वित्त वर्ष 2022 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि हमारे पहले के 10.4 प्रतिशत के पूवार्नुमान के मुकाबले एकल अंकों में (10 प्रतिशत से कम) होगी. इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि हालाकि वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही के लिए संपूर्ण प्रक्षेपण इस बात पर निर्भर है कि एनएसओ द्वारा पिछले डेटा को कितना संशोधित किया जाएगा. डेटा संशोधन पर पिछला अनुभव इंगित करता है कि चौथी तिमाही के लिए डेटा प्रदान करने के अलावा एनएसओ वर्तमान/पिछले वित्तीय वर्ष और वार्षिक जीडीपी अनुमान के तिमाही डेटा को भी संशोधित करता है.
यह भी पढ़ेंःचक्रवात 'यास' के चलते 22-30 मई के बीच दक्षिण पूर्व मध्य की 36 ट्रेनें रद
हालांकि देश-वार वास्तविक जीडीपी डेटा इंगित करता है कि एक वर्ष में स्थिति में सुधार हुआ है (कोविड-19 की दूसरी/तीसरी लहर से जूझने के बाद), जबकि अधिकांश देश अभी भी मंदी में हैं और उनकी 2021 की पहली तिमाही (या 2021 की चौथी तिमाही) वास्तविक जीडीपी विकास संकुचन मोड में रहा है. 24 देशों के लिए औसत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की गिरावट 2020 की चौथी तिमाही में 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 2021 की पहली तिमाही में 0.3 प्रतिशत दर्ज की गई है. बहुत कम देश 2021 की पहली तिमाही में मंदी से बाहर निकले हैं, जिसमें संकुचन (माइनस) 6.1 प्रतिशत (ब्रिटेन) और 18.3 प्रतिशत (चीन) शामिल हैं.
यह भी पढ़ेंःपूर्वांचल दौरे पर पहुंचे CM योगी, कहा- कोई भी कोविड टेस्ट से परहेज न करे
दिलचस्प बात यह है कि अगर भारत की विकास दर वित्त वर्ष 2021 की अंतिम तिमाही यानी चौथी तिमाही के दौरान 1.7 प्रतिशत को पार कर जाती तो भारत जीडीपी वृद्धि के मामले में चीन के बाद दूसरा सबसे तेज देश भी बनता. इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार 1.3 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान है और भारत अभी भी 5वां सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश होगा. यह अनुमान उन 25 देशों की तुलना करते हुए लगाया गया है, जिन्होंने अब तक अपनी जीडीपी संख्या जारी की है.
HIGHLIGHTS