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oxytocin drug (फाइल फोटो)
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा निजी कंपनियों के ऑक्सीटोसिन दवा (oxytocin drug) के उत्पादन व बिक्री पर रोक के आदेश को रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति एस.रविंद्र भट और न्यायमूर्ति ए.के.चावला की पीठ ने कहा कि केंद्र का आदेश अनुचित और मनमाना है और यह किसी वैज्ञानिक शोध पर आधारित नहीं दिखाई देता है. अदालत ने यह भी पाया कि ऑक्सीटोसिन दवा (oxytocin drug) एक जरूरी जीवनरक्षक दवा है.
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अदालत मायलन लैबोरेटरीज की सहायक बीजीपी प्रोडक्ट ऑपरेशंस जीएमबीएच, नियोन लैबोरेटरीज और एक एनजीओ ऑल इंडिया एक्शन नेटवर्क (एआईडीएएन) की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन कंपनियों की याचिकाओं में सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी.
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इस साल की शुरुआत में सरकार ने सार्वजनिक सेक्टर के इस्तेमाल को छोड़कर घरेलू इस्तेमाल के लिए ऑक्सीटोसिन दवा (oxytocin drug) के फॉर्मूले के उत्पादन पर रोक लगा दी थी. सिर्फ सरकार की कर्नाटक एंटीबॉयोटिक एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड (केएपीएल) को दवा के घरेलू इस्तेमाल के लिए उत्पादन की इजाजत दी गई थी.
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यह फैसला ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम 1940 के धारा 26ए के तहत लिया गया, जिसका मकसद ऑक्सीटोसिन दवा (oxytocin drug) के दुरुपयोग पर रोक लगाना है. ऑक्सीटोसिन एक प्रजनन हार्मोन है, जो स्तनधारियों में पाया जाता है. यह प्रसव के दौरान गर्भाशय के संकुचन को बढ़ा देता है.
Source : News Nation Bureau