आम आदमी को मिलेगी राहत, प्याज उत्पादन बढ़ाने के लिए UP सरकार ने बनाया ये बड़ा प्लान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब इसे बदलने का ठान ली है. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि यूपी अब प्याज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बने. उद्यान विभाग ने प्याज की खेती को और बढ़ावा देने की तैयारी की है.
highlights
- यूपी की जरुरतों को पूरा कर रहा है महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आया प्याज
- बुंदेलखंड, प्रयागराज, वाराणसी, मिजार्पुर समेत गंगा के किनारे के क्षेत्रों में खेती को बढ़ावा दिया जाएगा
लखनऊ :
देश में उत्तर प्रदेश आलू उत्पादन (Uttar Pradesh) में सबसे अव्वल स्थान पर है. इसके बाद पश्चिम बंगाल तथा बिहार का नाम आता है. हालांकि, प्याज उत्पादन (Onion Production) को लेकर यूपी की स्थित बेहतर नहीं है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आया प्याज यूपी की जरुरतों को पूरा कर रहा है. खपत के मुताबिक यूपी में प्याज का उत्पादन ना कर पाने के कारण वर्षों से यह स्थिति मौजूद है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने अब इसे बदलने का ठान ली है. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि यूपी अब प्याज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बने. उद्यान विभाग ने प्याज की खेती को और बढ़ावा देने की तैयारी की है. इसके तहत क्रमबद्ध तरीके से लगातार राज्य में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा.
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गंगा के किनारे के क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा
इसकी शुरूआत करते हुए इस खरीफ सीजन में बुंदेलखंड, प्रयागराज, वाराणसी, मिजार्पुर सहित गंगा के किनारे के उन क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां बरसात का पानी ना भरता हो. इस संबंध में तैयार की गई योजना के तहत प्याज की खेती करने वाले किसानों को बीज आदि उपलब्ध कराए जाएंगे.
UP में करीब 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत
उद्यान विभाग के निदेशक आरके तोमर के अनुसार राज्य में हर वर्ष करीब 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत है, जबकि रवि और खरीफ सीजन में यहां प्याज का कुल उत्पादन 4.70 लाख मीट्रिक टन ही हो रहा है. अभी सूबे में 28,538 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की जा रही है. सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत है. जब एक लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती होने लगेगी तब ही सूबे की जरूरत के मुताबिक यानि की 15 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हो पाएगा। यह कठिन कार्य है पर इसे किया जा सकता है.
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सूबे के कृषि विशेषज्ञों तथा उद्यान विभाग के अफसरों ने इस कठिन कार्य को करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है। इसके तहत गंगा के किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिजार्पुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फरुर्खाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके तहत खरीफ की सीजन में गंगा के किनारे वाले इन जिलों में प्याज की खेती के रकबे में दो हजार हेक्टेयर का इजाफा करने का फैसला किया गया है. इसके अलावा प्याज की खेती करने वाले किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा. प्याज की फसल बेहतर हो इसके लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहें हैं. इस बीज से बेहतर किस्म का प्याज किसानों को मिलेगा और प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा प्याज की पैदावार होगी.
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