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खाद्य तेलों में लगी आग को ठंडा करने आयात शुल्क घटा सकती है सरकार

संभावित उपायों में खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कटौती ही सबसे सहज और स्वाभाविक विकल्प बचा है, जिस पर विचार किया जा सकता है.

Updated on: 13 Jun 2021, 12:16 PM

highlights

  • मंत्रिसमूह की प्रस्तावित बैठक में इस सप्ताह फैसला संभव
  • ऐसी पहल से खाद्य तेलों में 10 फीसद तक की कमी होगी
  • आम आदमी की दिक्कतों को दूर करने सरकार उठाएगी कदम

नई दिल्ली:

आम उपभोक्ताओं की रसोई का बजट बिगाड़ रहे खाद्य तेलों की महंगाई को थामने के लिए कुछ पुख्ता कदम उठाए जाने की संभावना है. उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर काबू पाने के लिए गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) की प्रस्तावित बैठक में इस सप्ताह इस पर कोई फैसला हो सकता है. संभावित उपायों में खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कटौती ही सबसे सहज और स्वाभाविक विकल्प बचा है, जिस पर विचार किया जा सकता है. उपभोक्ता मामले मंत्रालय की ओर से इस तरह का प्रस्ताव रखा जा सकता है. इन्हीं अटकलों को देखते हुए घरेलू खाद्य तेल बाजार में हलचल भी शुरू हो गई है. 

वैश्विक स्तर से घरेलू बाजार पर असर
वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों के मूल्य में तेजी का असर तो घरेलू बाजार पर पड़ा ही है, रबी सीजन में तिलहनी फसलों की पैदावार भी प्रभावित हुई है. इसके साथ ही सरसों तेल में दूसरे खाद्य तेलों की मिलावट की मिली छूट को समाप्त करने से सरसों तेल का मूल्य बहुत बढ़ा है. जून, 2020 में जिस सरसों तेल का मूल्य 120 रुपये किलो था, वही वर्तमान में 170 रुपये प्रति किलो हो गया. सोयातेल का मूल्य 100 से बढ़कर 160 रुपये और पामोलिन ऑयल 85 रुपये से बढ़कर 140 रुपए तक पहुंच गया है. कमोबेश अन्य खाद्य तेलों के मूल्य भी इसी तर्ज पर बढ़ गए हैं. आम उपभोक्ताओं की महंगाई की इन दिक्कतों को देखते हुए सरकार जल्द पुख्ता कदम उठा सकती है. 

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कटौती की चर्चा भर से कीमतें टूटीं
सरकार की इस पहल की भनक जिंस बाजार तक पहुंच गई है. सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर आयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कोएट) के प्रेसिडेंट सुरेश नागपाल ने बताया कि सीमा शुल्क में कटौती की अफवाह भर से बाजार में कीमतें टूटी हैं. मात्र एक दिन में फ्यूचर सौदों में सोयाबीन में सात रुपये और सरसों तेल में पांच से छह रुपये की गिरावट आई है. नागपाल ने कहा कि सरकार की पहल से खाद्य तेलों में 10 फीसद तक की कमी आ सकती है.

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65 फीसदी तेल का हो रहा आयात
तथ्य यह है कि वर्ष 1994-95 तक घरेलू खपत का मात्र 10 फीसद खाद्य तेल ही आयात किया जाता था, लेकिन अब कुल जरूरतों के लगभग 65 फीसद खाद्य तेलों की भरपाई आयात से हो रही है. भारतीय बाजार में वर्तमान में सालाना 2.5 करोड़ टन खाद्य तेलों की जरूरत होती है, जिसमें से 1.50 करोड़ टन से ज्यादा का आयात करना पड़ता है. देश में 45 लाख टन सोयाबीन तेल, 75 लाख टन पाम ऑयल, 25 लाख टन सूरजमुखी तेल तथा पांच लाख टन अन्य तेलों का आयात किया जाता है.