Advertisment

मिल्क पाउडर इंपोर्ट से किसानों को होगा बड़ा नुकसान, घरेलू डेयरी उद्योग ने जताई चिंता

सरकार द्वारा टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर विदेशों से मंगाने के फैसले के बाद डेयरी इंडस्ट्री की परेशानी बढ़ गई है. डेयरी उद्योग इसे असमय लिया फैसला बताता है. डेयरी कारोबारी कहते हैं कि मिल्क पाउडर आयात से देश के किसानों को नुकसान होगा.

author-image
Dhirendra Kumar
New Update
Milk Powder

मिल्क पाउडर (Milk Powder)( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

Coronavirus (Covid-19): कोरोना काल में होटल, रेस्तरा, कैंटीन (होरेका) सेगमेंट में दूध और दूध से बने उत्पादों की मांग कम हो जाने के बाद घरेलू डेयरी उद्योग (Dairy Industry) खपत के बाद बचा दूध (सरप्लस) मिल्क का उपयोग मिल्क पाउडर और बटर बनाने में करने लगा है लेकिन सरकार द्वारा टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर (Milk Powder) विदेशों से मंगाने के फैसले के बाद उनकी परेशानी बढ़ गई. डेयरी उद्योग इसे असमय लिया फैसला बताते हैं. डेयरी कारोबारी कहते हैं कि मिल्क पाउडर आयात से देश के किसानों को नुकसान होगा.

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी ने तेल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा, देखें VIDEO

सस्ती ड्यूटी पर मिल्क पाउडर का आयात करने का फैसला असमय लिया गया फैसला
देश में डेयरी उत्पादों का प्रमुख ब्रांड 'अमूल' का विक्रेता गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर. एस. सोढ़ी कहते हैं कि सस्ती ड्यूटी पर मिल्क पाउडर का आयात करने का फैसला असमय लिया गया फैसला है. डॉ. सोढ़ी ने भारत के उत्पादन लागत से विदेशों के दुग्ध उत्पाद की लागत कम है, इसलिए मिल्क पाउडर आयात का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि मिठाई और आइस्क्रीम में दूध की खपत कम होने से हमारे पास दूध की खपत के मुकाबले 15 फीसदी आपूर्ति अधिक है. ज्यादा जो दूध आ रहा है उसका उपयोग मिल्क पाउडर और बटर बनाने में हो रहा है, जिसका बाजार पहले से ही सुस्त है इसके बावजूद सरकार ने सस्ती ड्यूटी पर मिल्क पाउडर आयात की अनुमति दे दी है.

यह भी पढ़ें: जुलाई में लॉन्च हो सकती है MG Hector Plus SUV, ऑफिशियल वेबसाइट पर हुई लिस्ट

कोरोना वायरस की वजह से दूध की खपत पर पड़ा असर
कोरोना काल में हलवाई की दुकानों, कैंटीन, होटल, रेस्तरा का कारोबार प्रभावित होने से दूध की खपत पर असर पड़ा है. निजी डेयरी कंपनी आनंदा डेयरी के चेयरमैन राधेश्याम दीक्षित ने कहा कि होटल, रेस्तरा, कैंटीन में दूध की मांग अभी भी महज 10.15 फीसदी है जबकि इस सेगमेंट में दूध की खपत करीब 25 फीसदी होती है. उन्होंने कहा कि पहले से ही किसानों का दूध का उचित भाव नहीं मिल रहा है और अगर विदेशों से मिल्क पाउडर आएगा तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा 23 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार, 15 फीसदी आयात शुल्क पर टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर का आयात करने की अनुमति दी गई है.

यह भी पढ़ें: इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए बेहतरीन नाम सुझाइए और 10 हजार रुपये ईनाम पाइए

अधिसूचना के अनुसार, पाउडर या अन्य किसी ठोस के रूप में दूध या क्रीम जिसमें वसा की मात्रा भार के हिसाब से 1.5 फीसदी से अधिक न हो या जिसमें मीठा करने वाला पदार्थ न हो. कोरोनावायरस के प्रकोप पर लगाम लगाने के मकसद से 25 मार्च से जब देशभर में पूर्णबंदी कर दी गई थी तब होटल, रेस्तरा, कैंटीन बंद हो गए थे. हालांकि अब इनके खोलने की अनुमति है, फिर भी कोरोना के गहराते प्रकोप के कारण लोग होटल, रेस्तरा कम जा रहे हैं। वहीं, शिक्षण संस्थान बंद होने से वहां के कैंटीन अभी तक बंद हैं, जिससे देश में दूध की खपत इसकी आपूर्ति के मुकाबले कम हो रही है.

Dairy Farm covid-19 Dairy Industry Coronavirus Epidemic dairy Farmers coronavirus milk powder
Advertisment
Advertisment
Advertisment