अनाज उत्पादन को लेकर आई अच्छी खबर, रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन का अनुमान

कृषि वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि यह बारिश एक शुभ संकेत है कि इस बार गेहूं के उत्पादन में फिर एक नया रिकॉर्ड बनेगा. उन्होंने कहा कि इस समय हो रही बारिश गेहूं के लिए काफी फायदेमंद है और यह पैदावार बढ़ाने में सहायक साबित होगी.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि यह बारिश एक शुभ संकेत है कि इस बार गेहूं के उत्पादन में फिर एक नया रिकॉर्ड बनेगा. उन्होंने कहा कि इस समय हो रही बारिश गेहूं के लिए काफी फायदेमंद है और यह पैदावार बढ़ाने में सहायक साबित होगी.

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Dhirendra Kumar
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Wheat( Photo Credit : newsnation)

पश्चिमी विक्षोभ के चलते पहाड़ों पर हुई बर्फबारी और मैदानी इलाके में बारिश से संपूर्ण उत्तर भारत में ठंड बढ़ गई है, लेकिन गेहूं, जौ, चना सरसों समेत तमाम रबी फसलों के लिए यह बारिश नहीं बल्कि आसमान से सोना बरसने जैसा है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि यह बारिश एक शुभ संकेत है कि इस बार गेहूं के उत्पादन में फिर एक नया रिकॉर्ड बनेगा. उन्होंने कहा कि इस समय हो रही बारिश गेहूं के लिए काफी फायदेमंद है और यह पैदावार बढ़ाने में सहायक साबित होगी.

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गेहूं का उत्पादन करीब 11.2 करोड़ टन होने का अनुमान
डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक हैं. उनका अनुमान है कि चालू रबी सीजन में देश में गेहूं का उत्पादन करीब 11.2 करोड़ टन हो सकता है जोकि पिछले साल से करीब चार फीसदी अधिक होगा. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के चौथे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में गेहूं का उत्पादन करीब 10.76 करोड़ टन आंका गया है. चालू फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में रबी सीजन की प्रमुख खाद्य फसल गेहूं की बुवाई देशभर में 325.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि से 3.63 फीसदी अधिक है.

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डॉ. सिंह ने कहा कि गेहूं की बुवाई का इस बार रिकॉर्ड क्षेत्र रहेगा क्योंकि मध्यप्रदेश में किसानों को गेहूं का प्रीमियम प्राइस मिलने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर पिछले सीजन में रिकॉर्ड खरीद होने से गेहूं की बुवाई में उनकी दिलचस्पी बढ़ी है. मध्यप्रदेश में पिछले सप्ताह तक मध्यप्रदेश में 85.37 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी थी जो पिछले साल से 10.32 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने बताया कि बीते सितंबर और अक्टूबर के आखिर में हुई बारिश से गेहूं की बुवाई की तरफ किसानों का रुझान बढ़ गया.

राजस्थान और उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई सुस्त
चालू सीजन में सिर्फ राजस्थान और उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई सुस्त रही है, लेकिन आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक बताते हैं कि बुवाई के अंतिम आंकड़े अभी नहीं आए हैं और उत्तर प्रदेश में बुवाई थोड़ी देर से शुरू हुई है, इसलिए अंतिम आंकड़े आने पर इसमें बढ़ोतरी हो सकती है. डॉ. सिंह ने बताया कि एमएसपी पर गेहूं की खरीद बढ़ने से किसानों को अच्छा दाम मिल रहा है इसलिए इसकी बुवाई की तरफ किसानों का रुझान बना हुआ है.

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उन्होंने कहा कि कोरोना काल में गेहूं की रिकॉर्ड सरकारी खरीद हुई है जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलने का भरोसा बढ़ा है. पिछले सीजन में सरकारी एजेंसियों ने देशभर में किसानों से 389.83 लाख टन गेहूं तय एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा. इस साल रबी सीजन के गेहूं की फसल के लिए केंद्र सरकार ने 1,975 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया है. उन्होंने कहा कि इस समय हो रही बारिश से अन्य रबी फसलों को भी फायदा होगा जबकि गेहूं और जौ के लिए आसमान से गिरने वाली बूंदें इस समय ज्यादा लाभप्रद हैं.

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