Union Budget 2025 : देश में आम बजट 2025 को लेकर चर्चा का माहौल है. 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी. देश के नौकरीपेशा लोगों, बेरोजगारों, महिलाओं, युवाओं और किसानों समेत सभी वर्गों को आम बजट से काफी उम्मीदें हैं. क्योंकि भारत का इतिहास बहुत पुराना है. ऐसे में आम बजट के इतिहास से जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें हैं, जिसके बारे शायद आपको जानकारी न हो. दरअसल, भारत एक परंपराओं और मान्यताओं वाला देश है. ऐसे में देश में बजट से जुड़ी भी कुछ ऐसी मान्यताएं हैं, जिनको आज तक फॉलो किया जा रहा है. तो हम आज आपको बताने वाले हैं, बजट से जुड़ी कुछ ऐसी बारीक बातें जो शायद ही आपको पता होंगी.
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- 1- संसद में सबसे लंबा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम है. निर्मला सीतारमण ने साल 2020 में लगभग 2 घंटा 42 मिनट लंबा बजट भाषण दिया था. जबकि सबसे छोटा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड हीरूभाई मूलजीभाई पटेल के नाम है. साल 1977 में तत्कालीन वित्त मंत्री हीरूभाई मूलजीभाई पटेल ने सबसे छोटा बजट भाषण दिया था. उन्होंने बजट भाषण केवल 800 शब्दों में निपटा दिया था.
- 2 - सबसे ज्यादा शब्दों के बजट भाषण का रिकॉर्ड डॉ. मनमोहन सिंह के नाम है. देश के 14वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह जब वित्त मंत्री हुआ करते थे तो उन्होंने संसद में अर्थव्यवस्था को बदलने वाला भाषण दिया था. यह 1991 की बात है, जब मनमोहन सिंह ने 18,650 शब्दों का बजट भाषण दिया था. उनका यह बजट भाषण सबसे ज्यादा शब्दों वाला था.
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- 3 - बजट को लेकर एक रोचक तथ्य यह है कि भारत में 1955 से पहले बजट अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होता था, लेकिन इसके बाद बजट को हिंदी में छापा जाने लगा.
- 4 - स्वतंत्रता के बाद पहली बार बजट किसी महिला ने पेश किया था. इस महिला का नाम था इंदिरा गांधी. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1970 में खुद बजट पेश किया था. क्योंकि उस समय वह खुद ही वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रही थीं.
- 5 - लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बजट जैसा अति-महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज लीक भी हो सकता है. हां, ऐसा हुआ था. साल 1950 में बजट से जुड़े दस्तावेज लीक हो गए थे. इस घटना ने सरकार को हिला कर रख दिया था, जिसके बाद से राष्ट्रपति भवन में बजट की छपाई का काम बंद कर दिया गया. अब बजट की छपाई मिंटो रोड स्थित एक सरकारी प्रेस में होने लगी थी. हालांकि बाद में 1980 के दौरान बजट की छपाई का काम वित्त मंत्रालय के अंदर ही होने लगा.